रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024, जिसे रवीन्द्र जयंती के नाम से भी जाना जाता है, रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाने के लिए 8 मई को पड़ती है। 7 मई, 1861 को कोलकाता में देबेंद्रनाथ टैगोर और सारदा देवी के घर जन्मे टैगोर का प्रभाव उनके जन्मस्थान से कहीं आगे तक फैला हुआ है, जो दुनिया भर के साहित्य, संगीत और कला में गूंजता है।
रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी रचनाओं के लिए लोग गुरुदेव कहकर पुकारते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, सन 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित जोड़ासांको में हुआ था। साल 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था। 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले नॉन-यूरोपियन और पहले भारतीय थे।
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 नोबेल पुरस्कार विजेता और सांस्कृतिक प्रतीक, रवींद्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती मनाने के लिए 8 मई, 2024 को पड़ती है। 7 मई, 1861 को कोलकाता में जन्मे टैगोर का प्रभाव विश्व स्तर पर साहित्य, संगीत और कला तक फैला हुआ है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार, बुधवार, 8 मई को मनाया जाने वाला यह अवसर टैगोर की स्थायी विरासत और बंगाली संस्कृति और उससे आगे के योगदान का सम्मान करता है।
7 मई, 1861 को कोलकाता में पैदा हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर एक प्रतिष्ठित बंगाली बहुश्रुत, कवि, लेखक, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता थे। “बंगाल के बार्ड” के रूप में जाने जाने वाले और प्यार से गुरुदेव कहलाने वाले टैगोर की साहित्यिक और कलात्मक प्रतिभा कविता, साहित्य, संगीत और दृश्य कला तक फैली हुई थी। कविता संग्रह “गीतांजलि” सहित उनके कालजयी कार्यों ने उन्हें 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले गैर-यूरोपीय होने का गौरव दिलाया, जिससे उनकी विरासत वैश्विक महत्व के सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में मजबूत हुई।
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती पूरे देश में बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाई जाती है, विशेष रूप से टैगोर की मातृभूमि पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में एक भव्य उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो टैगोर की साहित्यिक और कलात्मक कृतियों को श्रद्धांजलि देते हैं। स्कूल, विश्वविद्यालय और स्थानीय समुदाय ढेर सारी गतिविधियाँ आयोजित करते हैं, जिनमें नृत्य प्रदर्शन, नाट्य प्रस्तुतियाँ, संगीत गायन और रवीन्द्र संगीत, टैगोर की मधुर रचनाओं का पाठ शामिल है।
यह उत्सव शांतिनिकेतन में टैगोर द्वारा स्थापित संस्थान, विश्व-भारती विश्वविद्यालय तक फैला हुआ है, जहां विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के छात्र उल्लासपूर्ण स्मरणोत्सव में भाग लेते हैं। इसके अलावा, टैगोर के जन्मस्थान जोरासांको ठाकुर बारी में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो उस्ताद के प्रति गहरी श्रद्धा को रेखांकित करते हैं।
साहित्य, कला और शिक्षा के क्षेत्र में टैगोर के अद्वितीय योगदान के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में रवींद्रनाथ टैगोर जयंती का गहरा महत्व है। सार्वभौमिकता, मानवतावाद और सद्भाव के उनके आदर्श दुनिया भर के लोगों के बीच गूंजते रहते हैं, जिससे मानवता की अंतर्संबंध और सांस्कृतिक विविधता की सुंदरता की गहरी समझ को बढ़ावा मिलता है।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) को अब ₹10,000 के…
भारत अपनी पहली ‘वन विश्वविद्यालय (Forest University)’ की स्थापना की तैयारी कर रहा है, जो…
झारखंड ने 2025–26 सत्र में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (SMAT) जीतकर इतिहास रच दिया। ईशान…
संसद ने सतत उपयोग एवं उन्नयन द्वारा भारत के परिवर्तन हेतु परमाणु ऊर्जा (SHANTI) विधेयक,…
बेंगलुरु के पास स्थित बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) ने संरक्षण-उन्मुख चिड़ियाघर प्रबंधन को…
ओडिशा सरकार 19–20 दिसंबर को रीजनल AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेजबानी करेगी। यह आयोजन शासन…