भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक ऐतिहासिक घटना थी। वर्ष 2024 इस महत्वपूर्ण आंदोलन की 82वीं वर्षगांठ है जिसने भारत के इतिहास की दिशा बदल दी। भारत में हर साल 8 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस (August Kranti Diwas) के रूप में मनाया जाता है, जिसमें शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद किया जाता है।
हर साल 8 अगस्त को भारतीय इतिहास में आजादी की आखिरी लड़ाई की शुरुआत के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन 1942 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की नींव रखी गई थी। आजादी के बाद से, 8 अगस्त को क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है और बॉम्बे में जहां इसे झंडा फहराकर शुरू किया गया था, उसे क्रांति मैदान के रूप में जाना जाता है।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 08 अगस्त 1942 को हुई थी। इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। महात्मा गांधी ने 08 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे (अब मुंबई) अधिवेशन में इसकी शुरुआत की थी। भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ काफी प्रभावशाली साबित हुआ और शासन की नींद उड़ गई थी।
भारत छोड़ो आंदोलन ने एक स्थायी विरासत छोड़ी जिसने दिखाया कि अहिंसक विरोध और एकता कैसे बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस आंदोलन ने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम के नाम से भा जाना जाता है। इस आंदोलन की शुरुआत आठ अगस्त को हुई थी, लेकिन आमतौर पर लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत नौ अगस्त को हुई थी। इस आंदोलन के दौरान 14 हजार से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से तत्काल और पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इसमें भारत पर से अंग्रेजों का नियंत्रण समाप्त कर एक संप्रभु एवं स्वशासित राष्ट्र की स्थापना करने की मांग की गई।
भारत छोड़ो आंदोलन का भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। यह अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता था और सभी पृष्ठभूमियों के एकजुट लोग स्वतंत्रता के लिए एक साथ खड़े थे। कठोर दमन के बावजूद, आंदोलन ने स्व-शासन की मांग को हवा दी और ब्रिटिश सरकार को भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर किया।
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