भारत की राष्ट्रपति ने विश्व होम्योपैथी दिवस पर एक होम्योपैथी संगोष्ठी का उद्घाटन किया

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर 10 अप्रैल, 2024 को नई दिल्ली में केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित दो दिवसीय होम्योपैथी संगोष्ठी का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने निम्नलिखित पर प्रकाश डाला:

 

होम्योपैथी को वैश्विक रूप से अपनाना

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि होम्योपैथी को कई देशों में सरल और सुलभ उपचार पद्धति के रूप में अपनाया जा चुका है। पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर कई संस्थाएं होम्योपैथी को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने आयुष मंत्रालय, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग, राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान और केंद्र सरकार के ऐसे सभी संस्थानों की, भारत में होम्योपैथी को बढ़ावा देने में योगदान देने के लिए प्रशंसा की।

 

अनुसंधान और दक्षता का महत्व

राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी में शोध का महत्व लगातार बढ़ रहा है। इसलिए, इस संगोष्ठी का विषय ‘अनुसंधान को सशक्त बनाकर दक्षता बढ़ाना’ बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि होम्योपैथी की स्वीकार्यता और लोकप्रियता को और बढ़ाने में अनुसंधान और दक्षता का बहुत महत्व रहेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई लोग ऐसे व्यक्ति के अनुभव साझा करते हैं जो विभिन्न तरीकों से इलाज के बाद निराश हो गए और होम्योपैथी के इलाज से उन्हें चमत्कारिक रूप से लाभ पहुंचा। ऐसे अनुभवों को वैज्ञानिक समाज में तभी मान्यता मिल सकती है जब उन्हें तथ्यों और विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया जाए। बड़े पैमाने पर किए जाने वाले ऐसे तथ्यात्मक विश्लेषण को प्रामाणिक चिकित्सा अनुसंधान कहा जाता है। इस चिकित्सा प्रणाली में वैज्ञानिकता को प्रोत्साहित करने से लोगों का इसमें विश्वास और बढ़ेगा।

 

स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वस्थ लोगों से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। स्वस्थ समाज की नींव पर ही स्वस्थ राष्ट्र खड़ा होता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एक स्वस्थ, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।

कुल मिलाकर, राष्ट्रपति ने एक सरल और सुलभ उपचार पद्धति के रूप में होम्योपैथी के महत्व, इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अनुसंधान और दक्षता की आवश्यकता और एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में स्वास्थ्य पेशेवरों की भूमिका पर जोर दिया।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी 2026 तक गुरुग्राम में अपना पहला भारतीय कैंपस खोलेगी

भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ऑस्ट्रेलिया की…

5 mins ago

MEITY और MEA ने DigiLocker के जरिए पेपरलेस पासपोर्ट वेरिफिकेशन शुरू किया

भारत में डिजिटल इंडिया को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY)…

1 hour ago

जानें कैसे 29 साल की लड़की बनी दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड महिला अरबपति

सिर्फ 29 साल की उम्र में लुवाना लोप्स लारा (Luana Lopes Lara) ने दुनिया की…

4 hours ago

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…

5 hours ago

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…

5 hours ago

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: मुख्य निकाय, कोष, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियां

यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…

7 hours ago