राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को स्लोवाकिया और पुर्तगाल की चार दिवसीय राजकीय यात्रा के अंतिम दिन स्लोवाकिया के नित्रा शहर स्थित कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें उनके उल्लेखनीय सार्वजनिक सेवा कार्य, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता, तथा शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के समर्थन के लिए प्रदान किया गया। यह सम्मान भारत की वैश्विक नेतृत्व में बढ़ती प्रतिष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों एवं समावेशी शासन के प्रतिनिधित्व में राष्ट्रपति मुर्मू की अद्वितीय भूमिका को दर्शाता है।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ
सम्मान प्रदान करने वाला संस्थान:
कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी, नित्रा, स्लोवाकिया
अवसर:
राष्ट्रपति मुर्मू की स्लोवाकिया और पुर्तगाल की चार दिवसीय राजकीय यात्रा का अंतिम दिन
प्रदान किया गया सम्मान:
मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate)
सार्वजनिक सेवा और शासन में विशिष्ट करियर
सामाजिक न्याय और समावेशन के लिए समर्थन
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण में योगदान
सांस्कृतिक और भाषायी विविधता (विशेष रूप से संथाली भाषा की मान्यता) की दिशा में कार्य
उन्होंने यह सम्मान भारत के 1.4 अरब नागरिकों को समर्पित किया
यह सम्मान संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय से प्राप्त कर विशेष कृतज्ञता व्यक्त की
भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को संरक्षित करने की दिशा में अपने आजीवन कार्य को रेखांकित किया
शिक्षा के व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास में महत्व को उजागर किया
विश्वविद्यालय का नाम संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल पर रखा गया है, जो स्लोवाक इतिहास और स्लाव सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख व्यक्ति थे
स्थित: नित्रा, स्लोवाकिया का एक प्राचीन शहर (~870 ईस्वी में स्थापित)
इसमें 5 संकाय (faculties) और कुल 7,029 छात्र हैं, जिनमें 400 अंतरराष्ट्रीय छात्र भी शामिल हैं
यह विश्वविद्यालय उन लोगों को मानद डिग्रियाँ प्रदान करता है जिन्होंने:
शिक्षा, विज्ञान या संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो
लोकतंत्र, मानवतावाद और अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ावा दिया हो
पूर्व में सम्मानित हस्ती:
ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति फ़र्नांडो हेनरिक कार्डोसो (2002)
| सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को स्लोवाकिया में मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया |
| सम्मान | मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) |
| सम्मान प्राप्तकर्ता | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू |
| सम्मान प्रदान करने वाला संस्थान | कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी, नित्रा, स्लोवाकिया |
| अवसर | स्लोवाकिया और पुर्तगाल की राजकीय यात्रा का अंतिम दिन |
| सम्मान का कारण | सार्वजनिक सेवा, शासन, सामाजिक न्याय, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण |
| संस्कृतिक योगदान | संथाली भाषा और भारत की सांस्कृतिक-भाषायी विविधता का समर्थन |
| विश्वविद्यालय की विरासत | संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल के नाम पर; मानवतावाद को बढ़ावा देने वाले को सम्मानित करता है |
| मुर्मू के भाषण की मुख्य बातें | शिक्षा को सशक्तिकरण का माध्यम बताया, नई शिक्षा नीति (NEP) का उल्लेख, वैश्विक सहयोग का आह्वान, भारत को समर्पण |
| पूर्व सम्मानित व्यक्ति | फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो (2002) |
| शहर की जानकारी | नित्रा: “स्लोवाक शहरों की जननी”, स्थापना ~870 ईस्वी |
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