भारतीय सेना ने 25 से 27 मार्च 2025 तक अरुणाचल प्रदेश के ऊँचाई वाले क्षेत्र में त्रि-सेवा एकीकृत बहु-क्षेत्र युद्धाभ्यास ‘प्रचंड प्रहार’ का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्वय स्थापित करते हुए निगरानी, कमांड एवं नियंत्रण और सटीक मारक क्षमता को मान्य करना था।
‘प्रचंड प्रहार’ युद्धाभ्यास का अवलोकन
यह अभ्यास पूर्वी कमान के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें तीनों सेनाओं ने आधुनिक युद्ध रणनीतियों को प्रदर्शित किया। इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्तता, तकनीकी श्रेष्ठता और बहु-क्षेत्रीय संचालन की तैयारी को प्रभावी ढंग से परखना था।
अभ्यास के प्रमुख उद्देश्य
- एकीकृत निगरानी एवं कमांड नियंत्रण – तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमता को परखा गया, जिसमें वास्तविक समय में डेटा और खुफिया जानकारी का उपयोग कर निर्णय लिए गए।
- सटीक मारक क्षमता एवं लक्ष्य नष्ट करना – अत्याधुनिक निगरानी विधियों से लक्ष्यों की पहचान कर समन्वित हमलों के माध्यम से उन्हें नष्ट किया गया।
- बहु-क्षेत्रीय संचालन – थल, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर युद्ध के विभिन्न पहलुओं में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया।
- संयुक्तता और तत्परता में वृद्धि – इस अभ्यास से तीनों सेनाओं के बीच समन्वय मजबूत हुआ और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित हुई।
‘प्रचंड प्रहार’ की प्रमुख विशेषताएँ
उन्नत निगरानी एवं टोही क्षमता – इस अभ्यास में नवीनतम निगरानी प्रणालियों को शामिल किया गया, जैसे:
- लंबी दूरी की समुद्री टोही विमान
- ड्रोन एवं घूमने वाली गोलाबारूद प्रणाली
- अंतरिक्ष-आधारित संसाधन एवं उपग्रह तकनीक
- सशस्त्र हेलीकॉप्टरों द्वारा त्वरित निगरानी एवं प्रतिक्रिया
समन्वित मारक शक्ति तैनाती – लक्ष्यों की पहचान के बाद उन्हें निष्क्रिय करने के लिए उपयोग किए गए:
- लड़ाकू विमान द्वारा हवाई हमले
- लंबी दूरी की रॉकेट प्रणाली द्वारा गहरी मारक क्षमता
- 155 मिमी तक की तोपों द्वारा गोलाबारी
- झुंड ड्रोन एवं आत्मघाती ड्रोन द्वारा सटीक हमले
- ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हेलीकॉप्टरों द्वारा नजदीकी हवाई सहायता
यथार्थ युद्ध स्थितियों की पुनरावृत्ति – इस अभ्यास में एक इलेक्ट्रॉनिक रूप से बाधित वातावरण तैयार किया गया, जिससे संचार और डेटा साझा करने की प्रणाली की प्रभावशीलता को परखा गया।
पिछले अभ्यासों से तुलना
‘प्रचंड प्रहार’ अभ्यास नवंबर 2024 में आयोजित ‘पूर्वी प्रहार’ का उन्नत संस्करण है। जहाँ ‘पूर्वी प्रहार’ मुख्य रूप से वायुसेना की भूमिका पर केंद्रित था, वहीं ‘प्रचंड प्रहार’ ने बहु-क्षेत्रीय एकीकरण पर जोर दिया, जिसमें विभिन्न प्लेटफार्मों और वास्तविक समय के युद्ध परिदृश्यों को शामिल किया गया।
रणनीतिक महत्व
- भारत की युद्ध तैयारियों को बढ़ावा – यह अभ्यास ऊँचाई वाले कठिन इलाकों में बदलते सैन्य खतरों से निपटने की भारत की क्षमता को प्रमाणित करता है।
- संयुक्तता को मजबूत करना – तीनों सेनाओं के बीच तालमेल भारत की संयुक्त सैन्य नीति की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
- तकनीकी श्रेष्ठता – आधुनिक निगरानी प्रणालियों और सटीक हमले की क्षमताओं के उपयोग से आधुनिक युद्ध तकनीकों में भारत की प्रगति प्रदर्शित हुई।
- विरोधियों के लिए रणनीतिक संदेश – अरुणाचल प्रदेश में एलएसी (LAC) के पास इस अभ्यास का आयोजन भारत की रक्षा और आक्रामक तैयारियों का स्पष्ट संकेत देता है।
पहलू | विवरण |
अभ्यास का नाम | प्रचंड प्रहार |
आयोजक | भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ |
स्थान | अरुणाचल प्रदेश (ऊँचाई वाला क्षेत्र) |
तारीखें | 25-27 मार्च, 2025 |
उद्देश्य | संयुक्त निगरानी, कमांड एवं नियंत्रण और सटीक मारक क्षमता को मान्य करना |
मुख्य विशेषताएँ | उन्नत निगरानी, समन्वित मारक शक्ति, बहु-क्षेत्रीय संचालन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध वातावरण |
प्रयुक्त तकनीकें | यूएवी (UAVs), लंबी दूरी की टोही विमान, घूमने वाली गोलाबारूद प्रणाली, झुंड ड्रोन, लड़ाकू विमान, 155 मिमी तक की तोपें, आत्मघाती ड्रोन |
रणनीतिक महत्व | भारत की युद्ध तैयारी, संयुक्त सैन्य अभियानों और तकनीकी श्रेष्ठता को बढ़ाना |
पिछले अभ्यास से तुलना | ‘पूर्वी प्रहार’ (नवंबर 2024) पर आधारित, जिसमें बहु-क्षेत्रीय एकीकरण जोड़ा गया |