‘एक पेड़ मां के नाम’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक हरित पहल है, जिसका उद्देश्य लोगों को अपनी माताओं की स्मृति या सम्मान में वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना है। यह अभियान पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और प्रकृति से व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है। यह भारत के जलवायु कार्रवाई और पारिस्थितिकीय स्थिरता की व्यापक कोशिशों का हिस्सा है।
महत्व
प्रधानमंत्री द्वारा भेंट किया गया यह पौधा भारत की ग्रीन डिप्लोमेसी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और वैश्विक नेताओं को पर्यावरणीय मुद्दों में सहभागी बनाने का प्रयास भी है। किंग चार्ल्स तृतीय स्वयं लंबे समय से सतत जीवनशैली, जैविक खेती और जलवायु कार्रवाई के समर्थक रहे हैं, जिससे यह एक अर्थपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध प्रतीक बना। इस कदम ने वैश्विक मंच पर भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और सॉफ्ट पावर को भी उजागर किया।
उद्देश्य:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य है—
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नागरिकों को प्रेरित करना कि वे वृक्षारोपण के माध्यम से हरित अभियान में भाग लें।
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सतत विकास से भावनात्मक जुड़ाव को प्रोत्साहित करना।
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भारत के हरित अभियानों के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना।
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पर्यावरण संरक्षण में समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना।
भेंट किए गए पौधे की प्रमुख विशेषताएं:
- उपहार में दिया गया पौधा डेविडिया इनवोलुक्रेटा ‘सोनोमा’ है, जिसे सोनोमा डव ट्री या रूमाल ट्री के नाम से भी जाना जाता है।
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यह एक सजावटी प्रजाति है, जिसकी विशेषता इसके सफेद पंखुड़ीनुमा ब्रैक्ट्स हैं, जो उड़ते हुए रूमाल या कपोतों (doves) जैसे प्रतीत होते हैं।
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यह पेड़ 2–3 वर्षों में जल्दी खिलने लगता है।
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इसे शरद ऋतु में सैंडरिंघम एस्टेट पर रोपा जाएगा।
प्रभाव:
इस भेंट ने भारत–ब्रिटेन के संबंधों को केवल पर्यावरण के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता (CETA), योग और आयुर्वेद सहयोग, तथा खेल कूटनीति के माध्यम से युवा जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में भी मजबूती दी। यह पौधा भारत और ब्रिटेन के बीच दीर्घकालिक हरित साझेदारी का प्रतीक है और जलवायु उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी सुदृढ़ करता है।