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PM मोदी करेंगे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का उद्घाटन

दानकुनी से सोननगर तक 538 किलोमीटर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य पीएम गति शक्ति फंड से जल्द शुरू होगा। इसमें कोडरमा से न्यू मुगमा तक 195 किलोमीटर रेल लाइन भी शामिल है। इसके बनने से सेक्शन में मालगाड़ियों की औसत गति 60-70 किमी प्रति घंटे तक हो जाएगी। वर्तमान में इसकी गति 25-30 किमी प्रति घंटा है।

इस कॉरिडोर के बनने से कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई को प्रोत्साहन मिलेगा। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन से न्यू सोननगर खंड तक 137 किलोमीटर की दूरी में बने ट्रैक का ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे। इसकी लागत 5,705 करोड़ है। डीएफसीसीआइएल झारखंड और पश्चिम बंगाल के इसीएल, सीसीएल, बीसीसीएल और एनसीएल के प्रमुख कोयला बेल्टों को उत्तरी भारत के बिजली घरों से जोड़ता है।

 

इस सेक्शन में आठ स्टेशन

इस कॉरिडोर में मालगाड़ियां अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की गति से चल रही हैं, जिससे बिजली संयंत्रों तक कोयले की रैक की आवाजाही में काफी कम समय लगेगा। साथ ही अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ लौह और इस्पात की आवाजाही में भी तेजी आएगी। यह महत्वपूर्ण खंड उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित है। 5,705 करोड़ रुपये का यह सेक्शन विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है। इस सेक्शन में आठ स्टेशन हैं, जिसमें पांच जंक्शन स्टेशन और तीन क्रॉसिंग स्टेशन शामिल हैं।

 

स्टेशन कहां-कहां है

बता दें कि, इसके दो स्टेशन उत्तर प्रदेश और छह बिहार में हैं। स्टेशनों में न्यू दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, न्यू गंजख्वाजा जंक्शन, न्यू दुर्गावती, न्यू कुदरा, न्यू करवंदिया, न्यू सोननगर लिंक, न्यू सोननगर जंक्शन और न्यू चिरैला पौथु शामिल हैं। यह परियोजना मौजूदा दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन पर ट्रेनों की ट्रैफिक को कम करेगी।

सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल रूम

मालगाड़ियों के डीएफसी रूट पर शिफ्ट होने से आइआर सेक्शन पर ट्रेनें तेज गति से चलेंगी। मेल/एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेनों के समय चलने से इस खंड में अतिरिक्त कोचिंग सेवाएं शुरू की जा सकेंगी। मालूम हो कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने से झारखंड से माल ढुलाई 10 प्रतिशत बढ़ गयी है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए इलाहाबाद में सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल रूम बनाया गया है। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा सेंट्रलाइज नियंत्रण कक्ष है।

 

FAQs

भारत में कोयले का परिवहन कैसे होता है?

समग्र कोयला लॉजिस्टिक श्रृंखला में मूल्य संवर्धन के लिए खदान से पास के वॉशरी या कोयला हैंडलिंग संयंत्र तक कोयले की आवाजाही शामिल है। इसके बाद कोयले को प्रेषण बिंदु पर ले जाया जाता है जो सड़क, कन्वेयर, मैरी-गो-राउंड (एमजीआर) ट्रेन और रेल का उपयोग करके रेलवे साइडिंग, बंदरगाह या अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल हो सकता है।

vikash

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