प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मई 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इसका उद्देश्य विकसित भारत@2047 (Viksit Bharat@2047) के रोडमैप पर चर्चा करना था।
क्यों चर्चा में है?
इस वर्ष की गवर्निंग काउंसिल बैठक का फोकस है:
“विकसित राज्य से विकसित भारत” (Viksit Rajya for Viksit Bharat) –
इसका उद्देश्य राज्यों की भागीदारी को बढ़ाकर राष्ट्रीय विकास को गति देना है। बैठक में विकेन्द्रीकृत, समावेशी और टिकाऊ विकास पर जोर दिया गया।
पृष्ठभूमि
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नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर की गई थी।
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इसका सर्वोच्च निकाय गवर्निंग काउंसिल है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
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इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं।
बैठक का उद्देश्य
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“टीम इंडिया” दृष्टिकोण को मजबूत करना ताकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सके।
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राज्यों को सशक्त बनाना ताकि वे अपने स्थानीय संसाधनों और प्राथमिकताओं के आधार पर विजन डॉक्युमेंट तैयार कर सकें।
मुख्य लक्ष्य
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राज्यों को विकास के प्रेरक बनाना
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प्रत्येक राज्य को दीर्घकालिक, समावेशी विकास योजना बनाने हेतु प्रोत्साहित करना।
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डाटा-आधारित शासन
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राज्यों में मॉनिटरिंग व इवैल्यूएशन (M&E) यूनिट्स और ICT ढांचा विकसित करना।
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रोजगार व कौशल विकास
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उद्यमिता, स्किलिंग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना, ताकि जनसंख्या लाभांश का उपयोग हो सके।
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हरित विकास (Green Growth)
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नवीकरणीय ऊर्जा और सर्कुलर इकोनॉमी में संभावनाएं तलाशना।
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शहरी-ग्रामीण एमएसएमई (MSME) विकास
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अनौपचारिक क्षेत्र और ग्रामीण गैर-कृषि रोजगार को समर्थन देना।
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टियर-2 और टियर-3 शहरों को बढ़ावा
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मेट्रो शहरों के अलावा निर्माण व सेवा क्षेत्रों का विस्तार करना।
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चर्चित विषय (4वीं मुख्य सचिवों की राष्ट्रीय बैठक से प्रेरित 6 प्रमुख थीम्स)
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टियर 2 और 3 शहरों में निर्माण क्षेत्र (Manufacturing) का इकोसिस्टम।
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टियर 2 और 3 शहरों में सेवाक्षेत्र (Services Sector) का इकोसिस्टम।
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ग्रामीण गैर-कृषि एमएसएमई और अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार।
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शहरी एमएसएमई और रोजगार सृजन।
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नवीकरणीय ऊर्जा में संभावनाएं।
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सर्कुलर इकोनॉमी और सतत विकास पद्धतियाँ।
महत्त्व
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यह बैठक सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को मजबूत करती है।
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केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी को और मजबूती मिलती है।
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नीचे से ऊपर की योजना (Bottom-up Planning) को बढ़ावा देती है, जिससे स्थानीय स्तर की नीतियाँ अधिक प्रासंगिक बनती हैं।