प्रधानमंत्री मोदी ने INS सूरत, नीलगिरी और वाघशीर देश को किए समर्पित

15 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में तीन महत्वपूर्ण नौसैनिक संपत्तियों—INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वघशीर—को कमीशन किया। यह आयोजन भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

INS सूरत: उन्नत गाइडेड मिसाइल विध्वंसक

INS सूरत प्रोजेक्ट 15B (विशाखापत्तनम-क्लास) का चौथा और अंतिम जहाज है। भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन और MDL द्वारा निर्मित इस गाइडेड मिसाइल विध्वंसक की लंबाई 163 मीटर और चौड़ाई 17 मीटर है, और इसकी अधिकतम गति 30 नॉट्स है। इसमें लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है और इसे आधुनिक हथियारों से सुसज्जित किया गया है, जैसे कि स्वदेशी मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM), ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर और एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर। यह जहाज आधुनिक स्टेल्थ क्षमताओं से लैस है और इसमें दो हेलीकॉप्टरों को रखने की क्षमता है।

INS नीलगिरी: प्रोजेक्ट 17A की स्टेल्थ फ्रिगेट

INS नीलगिरी प्रोजेक्ट 17A के तहत विकसित उन्नत स्टेल्थ फ्रिगेट्स की प्रमुख जहाज है। इसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन और MDL द्वारा निर्मित किया गया है। इसकी लंबाई 149 मीटर और चौड़ाई 17.8 मीटर है, और इसकी अधिकतम गति 28 नॉट्स है। यह उन्नत स्टेल्थ क्षमताओं, उच्च टिकाऊपन, और बेहतर समुद्री संचालन से सुसज्जित है। जहाज में दो हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता है और यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें, 32 MRSAMs, टॉरपीडो, कवच चैफ लॉन्चर और 76 मिमी गन जैसे हथियारों से लैस है। भविष्य में इसमें स्वदेशी रूप से विकसित VL-SRSAM मिसाइलों को शामिल करने की योजना है।

INS वघशीर: प्रोजेक्ट 75 की अंतिम पनडुब्बी

INS वघशीर प्रोजेक्ट 75 के तहत विकसित कलवरी-क्लास की छठी और अंतिम पनडुब्बी है। इसे मझगांव डॉक और फ्रेंच नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाया गया है। 2,000 टन वजनी यह पनडुब्बी कई मिशनों में सक्षम है, जैसे सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, लंबी दूरी की स्ट्राइक, विशेष ऑपरेशन, और खुफिया जानकारी एकत्र करना। इसका मॉड्यूलर डिज़ाइन इसे भविष्य में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक जैसी उन्नतियों के साथ अनुकूलित करने में मदद करता है।

रणनीतिक महत्व और भविष्य की दृष्टि

इन जहाजों की कमीशनिंग भारत की स्वदेशी शिपबिल्डिंग क्षमताओं और रक्षा आत्मनिर्भरता में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। ये सभी प्लेटफॉर्म पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किए गए हैं, जो रक्षा उत्पादन में देश की बढ़ती क्षमता को दर्शाते हैं। कड़े परीक्षणों के बाद ये संपत्तियां अब पूरी तरह से चालू हैं और नौसेना की समुद्री ताकत को मजबूत करेंगी।

यह विकास हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधियों के बीच हुआ है, जिससे समुद्री हितों की सुरक्षा के महत्व को बल मिलता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय महासागर पर वैश्विक ध्यान केंद्रित होने पर जोर दिया और भारत की नौसैनिक शक्ति को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

इसके अलावा, भारत के रक्षा मंत्रालय के प्रधानमंत्री मोदी के अगले महीने पेरिस दौरे के दौरान तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए सौदे पर हस्ताक्षर करने की संभावना है। हालांकि, भारतीय नौसेना के अनुसार, इन पनडुब्बियों में से पहली को 2031 तक ही कमीशन किया जा सकेगा।

मुख्य बिंदु विवरण
खबर में क्यों? पीएम मोदी ने INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वघशीर को 15 जनवरी 2025 को कमीशन किया।
INS सूरत 1. प्रोजेक्ट 15B का चौथा जहाज, गाइडेड मिसाइल विध्वंसक।
2. 75% स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित।
INS नीलगिरी 1. प्रोजेक्ट 17A का प्रमुख जहाज, स्टेल्थ फ्रिगेट।
2. ब्रह्मोस और MRSAM से सुसज्जित।
3. दो हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता।
INS वघशीर 1. प्रोजेक्ट 75 की छठी पनडुब्बी।
2. इंडो-फ्रेंच सहयोग से निर्मित।
3. एंटी-सतह युद्ध और खुफिया मिशनों में सक्षम।
INS सूरत के विवरण 1. लंबाई: 163 मीटर, चौड़ाई: 17 मीटर।
2. गति: 30 नॉट्स।
3. ब्रह्मोस, MRSAM और उन्नत हथियारों से सुसज्जित।
INS नीलगिरी के विवरण 1. लंबाई: 149 मीटर, चौड़ाई: 17.8 मीटर।
2. गति: 28 नॉट्स।
3. ब्रह्मोस, MRSAM, टॉरपीडो और कवच चैफ लॉन्चर।
INS वघशीर के विवरण 1. लंबाई: 66 मीटर।
2. प्रोजेक्ट 75 के तहत फ्रांसीसी सहयोग से निर्मित।
3. सतह-रोधी युद्ध और खुफिया कार्यों के लिए उपयुक्त।
भारतीय नौसेना के रणनीतिक लक्ष्य 1. स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को बढ़ाना।
2. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के समुद्री विस्तार का मुकाबला करना।
महत्वपूर्ण तिथियां पीएम मोदी ने 15 जनवरी 2025 को इन जहाजों को कमीशन किया।
कमीशनिंग का महत्व 1. भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में वृद्धि।
2. नौसैनिक रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता पर जोर।
भविष्य की विकास योजनाएं 1. तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए सौदा अपेक्षित।
2. INS विक्रांत, पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत, 2022 में कमीशन।
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vikash

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