क्रिकेट में तटस्थ अंपायरिंग करने वाले पहले अंपायरों में शामिल भारत के पीलू रिपोर्टर का निधन हो गया। वे 84 साल के साथ थे। वे मस्तिष्क संबंधी विकारों से जूझ रहे थे, जिसके कारण लंबे समय तक वे बिस्तर पर पड़े रहे।
रिपोर्टर ने 28 साल के कॅरिअर में 14 टेस्ट और 22 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की। इसमें 1992 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में आयोजित विश्व कप भी शामिल है। रिपोर्टर ने 13 प्रथम श्रेणी मैचों में भी मैच अधिकारी की भूमिका निभाई, जिनमें से दो में वह मैच रेफरी थे।
अंपायर के रूप में पीलू रिपोर्टर का पहला मैच दिसंबर 1984 में भारत और इंग्लैंड के बीच दिल्ली टेस्ट था, जबकि उनका आखिरी टेस्ट भी इन्हीं दोनों टीमों के बीच फरवरी 1993 में खेला गया मुकाबला था। उन्होंने एकदिवसीय में पहली बार सितंबर 1984 में दिल्ली में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच में अंपायर की भूमिका निभाई थी। उनका आखिरी वनडे फरवरी 1994 में भारत और श्रीलंका के बीच राजकोट में खेला गया था।
उन्हें पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान ने 1986 में वीके रामास्वामी के साथ वेस्टइंडीज के खिलाफ शृंखला में अंपायरिंग करने के लिए बुलाया था। इस प्रकार यह जोड़ी 1912 के बाद तटस्थ के रूप में काम करने वाली अंपायरों की पहली जोड़ी बनी थी।
जनवरी 2021 में, पिलू रिपोर्टर को भारतीय क्रिकेट में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए द क्रिकेटर्स फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों स्तरों पर खेल के प्रति उनका समर्पण, महत्वाकांक्षी अंपायरों और क्रिकेट प्रेमियों के लिए समान रूप से प्रेरणा बना हुआ है।
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