भारत के पूर्व में महान हृदय शल्य चिकित्सक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व निदेशक, डॉ. पी. वेंगूगोपाल का निधन 8 अक्टूबर, 2024 को 82 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने भारत का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया और अपने करियर में 50,000 से अधिक हृदय शल्य क्रियाएँ कीं। उनकी चिकित्सा क्षेत्र में योगदान ने हृदय देखभाल के क्षेत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी ईमानदारी और नवाचार की भावना उन्हें चिकित्सा समुदाय में एक सम्मानित व्यक्ति बना गई।
डॉ. वेंगूगोपाल का जन्म 6 जुलाई 1942 को आंध्र प्रदेश के राजामुंद्री में हुआ। उन्होंने दिल्ली के AIIMS से MBBS और सर्जरी में उन्नत डिग्री प्राप्त की। अमेरिका में ओपन-हार्ट सर्जरी में प्रशिक्षण लेने के बाद, उन्होंने 1974 में AIIMS में पहला ओपन-हार्ट सर्जरी क्लिनिक खोला। 2003 में वे AIIMS के निदेशक बने और कार्डियोथोरेसिक साइंसेज सेंटर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ 3 अगस्त 1994 को भारत का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ।
1998 में उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने 2023 में एक संस्मरण “हार्टफेल्ट” भी सह-लिखा, जिसमें हृदय सर्जरी में उनके नवोन्मेषी यात्रा का विवरण है। अपने शल्य चिकित्सा उपलब्धियों के अलावा, उन्होंने विश्वभर में 100 से अधिक हृदय सर्जनों को प्रशिक्षित किया और हृदय मरम्मत के लिए स्टेम सेल थेरेपी जैसी नवीन तकनीकों को पेश किया। उनकी हृदय देखभाल को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के चिकित्सा पेशेवरों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है।
डॉ. वेंगूगोपाल का अंतिम संस्कार 9 अक्टूबर, 2024 को लोधी रोड श्मशान घाट पर किया गया। उनका निधन भारत में हृदय सर्जरी के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनके योगदान हमेशा उन सभी के दिलों में जीवित रहेंगे जिन्हें उन्होंने अपने करियर के दौरान छुआ।
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