राष्ट्रीय आंदोलन के पराक्रमी नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी 2024 को 127वीं जयंती है। इस खास दिन को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाया जाता है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में बंगाली परिवार में हुआ था।
नेताजी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका को निभाया और युवाओं में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया। नेताजी ने आजादी के लिए जय हिन्द, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, चलो दिल्ली जैसे नारे दिए जिन्होंने युवाओं में आजादी के लिए प्रेरणा का काम किया। आजादी के लिए उनके द्वारा किये गए संघर्ष को नमन करने के लिए उनकी जयंती को प्रतिवर्ष मनाया जाता जाता है।
पहले इस दिन को सुभाष चंद्र जयंती के नाम से सेलिब्रेट किया जाता था लेकिन वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को नेताजी के योगदान को देखते हुए पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके बाद से प्रतिवर्ष नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
पराक्रम दिवस 2024, 2021 से भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह नेताजी की जयंती मनाता है और उनकी बहादुर विरासत के लिए एक श्रद्धांजलि है। यह दिन भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के साहस और दृढ़ संकल्प की याद दिलाता है।
भारत पर्व का डिजिटल लॉन्च
पराक्रम दिवस 2024 का एक मुख्य आकर्षण प्रधान मंत्री द्वारा ‘भारत पर्व’ का डिजिटल लॉन्च था। गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के माध्यम से देश की विविधता को प्रदर्शित करने वाला यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध विरासत का एक जीवंत प्रदर्शन था।
भारत की विविधता का प्रदर्शन
पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत पर्व में वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों को बढ़ावा देने वाली पहलों को शामिल किया गया। यह वैश्विक जुड़ाव का एक मंच था, जो दुनिया भर के लोगों को राष्ट्र की पुनरुत्थानवादी भावना के साथ जुड़ने और जश्न मनाने में सक्षम बनाता था।
युवाओं और शिक्षकों को शामिल करना
पराक्रम दिवस ने विशेष रूप से युवा छात्रों और शिक्षकों के लिए एक शैक्षिक मंच के रूप में कार्य किया। इस कार्यक्रम ने नेताजी के जीवन, उनकी रणनीतियों और भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के बारे में जानने का अवसर प्रदान किया।
नेताजी के प्रेरणादायक उद्धरण और बातें
नेताजी के प्रसिद्ध उद्धरण जैसे “स्वतंत्रता दी नहीं जाती, ली जाती है” और “अपनी स्वतंत्रता की कीमत अपने खून से चुकाना हमारा कर्तव्य है” पर प्रकाश डाला गया, जो उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणा और प्रतिबिंब के स्रोत के रूप में काम कर रहा था।
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