Categories: Uncategorized

Parakram Diwas 2023: जानें पराक्रम दिवस का इतिहास और महत्व

भारत में 23 जनवरी का दिन पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती भी है जिसके उपलक्ष में ही पराक्रम दिवस मनाया जाता है। पराक्रम दिवस के मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूल कॉलेज में बच्चों को इस दिन का महत्व बताया जाता है और इसी दिन के जरिए स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को याद किया जाता है।

Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams

कब है पराक्रम दिवस?

 

पराक्रम दिवस प्रतिवर्ष 23 जनवरी को मनाया जाता है। वर्ष 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पराक्रम दिवस को 23 जनवरी के दिन मनाने का फैसला किया। उसके बाद से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जा रहा है।

 

23 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं पराक्रम दिवस?

 

23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाने की वजह बेहद खास है। दरअसल यह दिन सुभाष चंद्र बोस की याद में मनाया जाता है। सुभाष चंद्र बोस का 23 जनवरी को जन्म हुआ था। इस दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है, जिसे पराक्रम दिवस का नाम दिया गया।

 

पराक्रम दिवस का महत्व

पराक्रम का अर्थ शौर्य से है। इसीलिए पराक्रम दिवस को शौर्य दिवस के तौर पर भी जाना जाता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक थे इसीलिए भारत सरकार ने उनकी जयंती को पराक्रम दिवस का नाम दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने आध्यात्मिक विचारों के लिए स्वामी विवेकानंद जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे जबकि चितरंजन दास से उनके भीतर राजनीतिक प्रतिभा उभरी थी इसीलिए वह अपना राजनीतिक गुरु चितरंजन दास को मानते थे।

 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म साल 1897 को उड़ीसा के कटक में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। उनके पिता कटक के मशहूर वकील थे। नेताजी बचपन से ही पढ़ने-लिखने में काफी मेधावी थे। नेताजी ने इंपीरियल सिविल सर्विस (अब आईएएस) की परीक्षा पास की थी। हालांकि, देश सेवा की भावना से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए।

 

परीक्षा से संबंधित तथ्य

  • नेताजी ने “स्वराज” नामक समाचार पत्र प्रारंभ किया।
  • उन्होंने “द इंडियन स्ट्रगल” नामक पुस्तक लिखी थी। पुस्तक में 1920 और 1942 के बीच भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को शामिल किया गया है।
  • “जय हिंद” शब्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गढ़ा गया था।
  • “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के नारे के साथ उन्होंने देश को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जागृत किया।

Find More Important Days Here

 

 

 

FAQs

दिल्ली चलो का नारा किसका था?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने "दिली चलो" का नारा दिया।

vikash

Recent Posts

चीन का शेनझोउ-18 क्रू तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के लिए लॉन्च

चीन का शेनझोउ-18 मिशन वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष स्टेशन के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करते…

18 mins ago

कोरोमंडल इंटरनेशनल के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए अरुण अलगप्पन

पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण अलगप्पन को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त और…

1 hour ago

विदेश मंत्री जयशंकर को ‘इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स’ पुस्तक की प्रति मिली

विदेश मंत्री एस जयशंकर को सौम्या अवस्थी और श्रभना बरुआ द्वारा संपादित पुस्तक 'इंडियाज न्यूक्लियर…

2 hours ago

अडानी के विझिंजम पोर्ट को भारत के पहले ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में मंजूरी

भारत सरकार ने केरल में अदानी के विझिंजम पोर्ट को देश के उद्घाटन ट्रांसशिपमेंट हब…

3 hours ago

आरबीआई ने टॉकचार्ज को पीपीआई परिचालन बंद करने और शेष राशि वापस करने का निर्देश दिया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुग्राम स्थित टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (TalkCharge Technologies Pvt Ltd)…

3 hours ago

विश्व पशु चिकित्सा दिवस: 27 अप्रैल

इस वर्ष, विश्व पशु चिकित्सा दिवस शनिवार, 27 अप्रैल, 2024 को मनाया जाएगा। 2024 का…

4 hours ago