बैरागी 1984 और 1989 के बीच लोकसभा के सदस्य और राज्यसभा के पूर्व सांसद भी थे. वह 87 वर्ष के थे. उन्होंने कई हिंदी कविताओं को लिखा, जिनमें से “झड़ गये पात, बिसर गई टेहनी” को कई हिंदी कवियों द्वारा एक मणि माना जाता है.
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