नई दिल्ली में ऐतिहासिक निजामुद्दीन बस्ती समुदाय (Nizamuddin Basti community) के समग्र शहरी पुनरोद्धार पर भारत की परियोजना, निजामुद्दीन पुनरुद्धार परियोजना (Nizamuddin Revival Project) ने सांस्कृतिक विरासत संरक्षण 2021 के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार जीता है। इस परियोजना में श्रद्धेय सूफी संत, हजरत निजामुद्दीन औलिया के 14वीं शताब्दी के मकबरे के आसपास 20 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों की सावधानीपूर्वक बहाली शामिल है।
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निजामुद्दीन पुनरुद्धार परियोजना ने 2 श्रेणियों के अंतर्गत ये पुरस्कार जीते:
- उत्कृष्टता का पुरस्कार
- संवहनीय विकास के लिए विशेष मान्यता।
निजामुद्दीन बस्ती के विषय में:
यमुना नदी की सहायक नदी पर स्थित दिल्ली के एक गांव ग़यासपुर में बसे प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के मकबरे के आसपास की बस्ती को हजरत निजामुद्दीन बस्ती के नाम से जाना जाता है। निज़ामुद्दीन क्षेत्र में हुमायूँ का मकबरा, हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती और सुंदर नर्सरी, बताशेवाला मकबरा-उद्यान परिसर, राजदरबारी कवि खान ए खानन ‘रहीम’ का मकबरा और अजीमगंज सराय का मुगल काल का कारवां सराय शामिल है।
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार 2021 के विजेता:
विरासत विशेषज्ञों की जूरी ने सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार 2021 के साथ 6 देशों (बांग्लादेश, चीन, भारत, जापान, मलेशिया और थाईलैंड) की 9 परियोजनाओं को सम्मानित किया।