असम के बक्सा ज़िले में गार्सिनिया कुसुमे नामक एक नई वृक्ष प्रजाति की खोज की गई है। गार्सिनिया वंश का यह वृक्ष वरिष्ठ वनस्पतिशास्त्री जतिंद्र शर्मा द्वारा खोजा गया था और इसका नाम उनकी दिवंगत माँ कुसुम देवी की स्मृति में रखा गया है। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की वनस्पति विविधता में वृद्धि करती है और असम की समृद्ध वनस्पति विरासत को उजागर करती है।
अप्रैल 2025 में असम के बाक्सा ज़िले के बामुनबाड़ी क्षेत्र में किए गए पौधा सर्वेक्षण के दौरान एक नई वनस्पति प्रजाति की खोज हुई। इस पेड़ का स्थानीय नाम “थोइकोरा” है। इस नमूने को असम राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष और वनस्पति वैज्ञानिक जतिंद्र सर्मा ने एकत्र किया। इस पौधे का गहराई से अध्ययन किया गया, जिसमें हरबेरियम तकनीकों — जैसे सुखाना और दबाना — का उपयोग किया गया। विशेष लक्षणों की पहचान के बाद यह पुष्टि हुई कि यह एक नई वनस्पति प्रजाति है।
इस पेड़ का नाम Garcinia kusumae वनस्पति विज्ञानी जतिंद्र सर्मा ने अपनी माँ कुसुम देवी के सम्मान में रखा है। यह चौथी बार है जब श्री सर्मा ने किसी नई वनस्पति प्रजाति का नाम अपने परिवार के सदस्य के नाम पर रखा है। इससे पहले वे अपनी बेटी, पत्नी और पिता के नाम पर भी पौधों का नाम रख चुके हैं। इस तरह वे ऐसे पहले भारतीय वनस्पति वैज्ञानिक बन गए हैं जिन्होंने अपने चार करीबी रिश्तेदारों के नाम पर विभिन्न प्रजातियों का नामकरण किया है।
Garcinia kusumae एक ऊँचा सदाबहार वृक्ष है, जो लगभग 18 मीटर तक बढ़ता है। यह फरवरी से अप्रैल के बीच फूल देता है और इसके फल मई से जून के बीच पकते हैं। यह पौधा अन्य Garcinia प्रजातियों जैसा दिखता है, लेकिन इसके फूल और फल के आकार व गुण थोड़े भिन्न हैं। इसके फलों में काले रंग की रेज़िन होती है, जिसका उपयोग स्थानीय भोजन और औषधियों में होता है। सूखे गूदे का उपयोग ठंडा पेय बनाने या मछली के करी में किया जाता है। माना जाता है कि यह मधुमेह और पेचिश जैसी बीमारियों में भी लाभकारी है।
इस खोज को अंतरराष्ट्रीय वनस्पति वर्गीकरण शोध पत्रिका Feddes Repertorium में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में श्री सर्मा के साथ भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई के हुसैन ए. बारभुइया सह-लेखक रहे। भारत में कुल 33 Garcinia प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 12 प्रजातियाँ और 3 उप-प्रजातियाँ असम में मौजूद हैं। यह खोज दर्शाती है कि असम नई वनस्पति प्रजातियों के लिए एक समृद्ध क्षेत्र बना हुआ है।
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