केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में बदलाव लाने के उद्देश्य से कई पहलों का अनावरण किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय मत्स्य विकास कार्यक्रम (एनएफडीपी) पोर्टल का शुभारंभ किया गया, जो मूल्य श्रृंखला में मत्स्य उद्योग के श्रमिकों और उद्यमों को डिजिटल पहचान प्रदान करेगा। यह पहल प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के तहत है, जो प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की एक उप-योजना है, जो मत्स्य श्रमिकों को संस्थागत ऋण, प्रदर्शन अनुदान और जलीय कृषि बीमा जैसे लाभों तक पहुँचने में सक्षम बनाती है।
मंत्री ने 200 करोड़ रुपये के बजट के साथ 100 तटीय गाँवों को जलवायु प्रतिरोधी तटीय मछुआरा गाँव (सीआरसीएफवी) के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की। यह पहल पर्यावरणीय परिवर्तनों के विरुद्ध मछली पकड़ने वाले समुदायों की सुरक्षा के लिए संधारणीय मछली पकड़ने की प्रथाओं, बुनियादी ढाँचे में सुधार और जलवायु-स्मार्ट आजीविका पर ध्यान केंद्रित करेगी।
मछली परिवहन के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली एक पायलट परियोजना शुरू की गई, जिसका नेतृत्व केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CIFRI) ने किया। इस पहल का उद्देश्य अंतर्देशीय मत्स्य पालन के प्रबंधन और निगरानी के लिए ड्रोन की क्षमता का पता लगाना, दक्षता और स्थिरता में सुधार करना है।
केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (ICAR-CMFRI) के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना समुद्री शैवाल खेती के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में की गई। यह केंद्र समुद्री शैवाल खेती में नवाचार पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें खेती की तकनीकों को परिष्कृत करना और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए बीज बैंक बनाना शामिल है।
समुद्री और मीठे पानी की दोनों प्रजातियों के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर (NBC) की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य आनुवंशिक सुधारों के माध्यम से बीज की गुणवत्ता को बढ़ाना है। हैदराबाद, मुंबई और कोच्चि में मत्स्य पालन स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों और FPO के लिए तीन इनक्यूबेशन सेंटर भी अधिसूचित किए गए।
केंद्रीय मंत्री ने स्वदेशी प्रजातियों के संवर्धन और राज्य मछली संरक्षण पर पुस्तिकाएँ जारी कीं, जिसमें 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी राज्य मछली घोषित की है। यह पहल स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन को प्रोत्साहित करती है।
721.63 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की गई, जिसमें पाँच एकीकृत एक्वा पार्क, विश्व स्तरीय मछली बाज़ार, स्मार्ट मछली पकड़ने के बंदरगाह और विभिन्न राज्यों में जलीय कृषि को बढ़ावा देना शामिल है।
प्रधानमंत्री द्वारा 30 अगस्त, 2024 को महाराष्ट्र में शुरू की गई पोत संचार और सहायता प्रणाली को एक प्रमुख मील का पत्थर बताया गया। मछली पकड़ने वाले जहाजों पर 1 लाख ट्रांसपोंडर लगाने से आपात स्थिति के दौरान वास्तविक समय संचार और अलर्ट प्रदान करके सुरक्षा बढ़ेगी।
कार्यक्रम में पीएमएमएसवाई के परिवर्तनकारी प्रभाव और सरकार के “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण पर जोर दिया गया, जिससे 3 करोड़ से अधिक मत्स्यपालन हितधारकों के लिए सतत विकास सुनिश्चित होगा और आजीविका के अवसर बढ़ेंगे।
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