भारत की नौसैनिक वायु रक्षा क्षमता को बड़ा बल मिला है। भारतीय नौसेना ने पहला टाटा निर्मित लांजा-एन (Lanza-N) 3D एयर सर्विलांस रडार को कमीशन किया है। यह रडार स्पेन की कंपनी इंद्रा (Indra) के लांजा 3डी सिस्टम का नौसैनिक संस्करण है, जिसे टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने 2020 में हुई 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर की डील के तहत भारत में बनाया और एकीकृत किया। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
यह दुनिया के सबसे उन्नत लंबी दूरी के वायु रक्षा और एंटी-मिसाइल रडारों में से एक है।
मुख्य विशेषताएँ:
रेंज: 9 किमी से 474 किमी तक विमानों का पता लगाने की क्षमता
ऊँचाई कवरेज: 1,00,000 फीट तक
रोटेशन स्पीड: हर 10 सेकंड में एक पूर्ण घूर्णन → सतत निगरानी
अनुकूलन: हिंद महासागर क्षेत्र की आर्द्रता और अत्यधिक गर्मी के अनुसार विशेष रूप से संशोधित
यह रडार दुश्मन के विमान, ड्रोन और मिसाइलों के खिलाफ समय रहते चेतावनी देता है और भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
समझौते का वर्ष: 2020
मूल्य: लगभग 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर
परिसीमा:
3 रडार स्पेन की इंद्रा द्वारा पूरी तरह से दिए गए
20 अतिरिक्त रडारों के कोर सिस्टम → भारत में TASL द्वारा एकीकरण
निर्माण ढांचा: TASL ने कर्नाटक में एक विशेष असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सुविधा स्थापित की है।
यह व्यवस्था तकनीक हस्तांतरण, स्थानीयकरण और कौशल विकास को सुनिश्चित करती है।
पहला रडार भारतीय नौसेना के युद्धपोत में एकीकृत किया गया।
अनेक नौसैनिक और हवाई प्लेटफॉर्म के साथ कठोर समुद्री परीक्षण।
विभिन्न खतरों और परिस्थितियों में प्रदर्शन सिद्ध।
सभी जहाज़ प्रणालियों के साथ सफल संगतता।
इसके साथ ही TASL पहली भारतीय कंपनी बन गई है जिसने अगली पीढ़ी के नौसैनिक सर्विलांस रडार का निर्माण और एकीकरण घरेलू स्तर पर किया है।
समुद्री सुरक्षा में वृद्धि – हिंद महासागर क्षेत्र में हवाई खतरों का बेहतर पता लगाना।
आत्मनिर्भर भारत – ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बड़ा कदम।
फोर्स मल्टिप्लायर – नौसेना के फ्रिगेट, विध्वंसक और विमानवाहक पोतों की शक्ति में वृद्धि।
तकनीकी कौशल विकास – भारत को उच्चस्तरीय रडार इंटीग्रेशन तकनीक हासिल होगी।
रडार का नाम: लांजा-एन (Lanza-N, Lanza 3D का नौसैनिक संस्करण)
निर्माता: टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL), भारत
विदेशी साझेदार: इंद्रा (स्पेन)
डील: 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2020 में हस्ताक्षरित)
डिलीवरी: 3 रडार (इंद्रा से) + 20 के कोर सिस्टम (भारत में असेंबली)
रेंज: 9–474 किमी, 1,00,000 फीट तक
रोटेशन स्पीड: 10 सेकंड में एक पूरा घूर्णन
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