भारत सरकार ने 25 नवम्बर 2024 को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की घोषणा की है, जिसमें ₹2,481 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। यह योजना देश भर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस मिशन का लक्ष्य अगले दो वर्षों में 1 करोड़ किसानों को कवर करना और लगभग 7,50,000 हेक्टेयर भूमि को शामिल करना है। इस पहल में भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (Bhartiya Prakratik Krishi Paddhati) और गोबर्धन मिशन जैसी पुरानी योजनाओं को एकीकृत किया गया है, ताकि शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) और अन्य स्थानीय रूप से अनुकूलित कृषि विधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
हालांकि यह मिशन जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देता है, विशेषज्ञों ने यह चिंता जताई है कि क्या केवल जैविक सामग्री का उपयोग करके मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। चावल जैसी फसलों के लिए, उपयुक्त उपज के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। जैविक खाद लाभकारी हो सकती है, लेकिन यह इन आवश्यक पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर सकती, जिससे उत्पादकता प्रभावित हो सकती है, अगर पर्याप्त पूरक पोषक तत्वों का प्रयोग न किया जाए।
NMNF का शुभारंभ सरकार की विभिन्न पहलों का परिणाम है, जिसमें 2019-20 में शुरू की गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम शामिल है। गंगा के किनारे और अन्य पायलट परियोजनाओं में प्राकृतिक खेती की दिशा में किए गए प्रयासों ने इस राष्ट्रीय मिशन के लिए नींव रखी। अब इस मिशन का उद्देश्य भारत के विभिन्न कृषि-पर्यावरणीय क्षेत्रों में व्यापक कवरेज और एकीकरण हासिल करना है।
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