भारत में राष्ट्रीय दूध दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। इसे पहली बार साल 2014 में मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और लोगों को सेहत के प्रति जागरूक करना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर हमेशा दूध पीने की सलाह देते हैं। दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। साथ ही प्रोटीन समेत आवश्यक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसके लिए रोजाना दूध का सेवन करना चाहिए।
दूध भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है और यह पूरे देश में घरों में एक आवश्यक आहार के रूप में इस्तेमाल होता है। दूध न केवल एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह एक पोषण से भरपूर स्रोत भी है। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम और आवश्यक विटामिन्स होते हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से बच्चों, किशोरों और वृद्ध व्यक्तियों के लिए।
दूध के सेवन के स्वास्थ्य लाभ व्यापक रूप से पहचाने गए हैं, जिससे यह एक संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है।
राष्ट्रीय दूध दिवस के माध्यम से दूध के पोषण मूल्य और इसके अनेक लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से दूध के सेवन के महत्व को उजागर करता है, जैसे कि हड्डियों को मजबूत बनाना, इम्युनिटी को बढ़ाना और बच्चों में अच्छा विकास सुनिश्चित करना।
वर्तमान समय में भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में शीर्ष पर काबिज है। इसका श्रेय ‘ऑपरेशन फ्लड’यानी श्वेत क्रांति डॉ. वर्गीज कुरियन को जाता है। उन्होंने साल 1970 में श्वेत क्रांति की शुरुआत की। इस क्रांति का मुख्य मकसद दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना था। इसके लिए किसनों की हरसंभव मदद की जाती है। डॉ. वर्गीज कुरियन साल 1965 से लेकर 1998 तक National Dairy Development Board के अध्यक्ष बने रहे। इस दौरान उन्होंने दूध को देश के कोने कोने में पहुंचाने की कोशिश की। आज देश के सैकड़ों शहरों में दुग्ध उत्पादन किया जाता है। इस क्रांति के फलस्वरूप भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है।
श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन 26 नवंबर को मनाया जाता है। उनके सम्मान में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है। वहीं, 9 सितंबर, 2012 को डॉ. वर्गीज कुरियन का निधन हो गया। इस दिन देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर डॉ. वर्गीज कुरियन को उनके जन्मदिन पर याद किया जाता है। साथ ही लोगों को दूध उत्पादन के महत्वों को बताया जाता है और किसानों को जागरूक भी किया जाता है।
इसने डेयरी किसानों को स्वयं के विकास के लिये निर्देशित करने में मदद की, उनके संसाधनों पर उन्हें नियंत्रण प्रदान किया। इसने भारत को वर्ष 2016-17 में दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बनने में मदद की है। वर्तमान में भारत 22% वैश्विक उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है।
समाचार का सारांश
श्रेणी | विवरण |
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क्यों चर्चा में है | राष्ट्रीय दूध दिवस हर साल 26 नवम्बर को भारत में मनाया जाता है, जो डॉ. वर्गीज कुरियन, “सफ़ेद क्रांति के पिता”, की दूध उत्पादन में योगदान को सम्मानित करता है। |
उद्देश्य | दूध के पोषण मूल्य और भारतीय अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को पहचानना, साथ ही डेयरी उद्योग की उपलब्धियों और डॉ. कुरियन की धरोहर का उत्सव मनाना। |
दूध की भूमिका | दूध एक प्रमुख आहार है, जो प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन्स से भरपूर होता है, जो बच्चों, किशोरों और वृद्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। |
डॉ. वर्गीज कुरियन का योगदान | उन्होंने “सफ़ेद क्रांति” (ऑपरेशन फ्लड) का नेतृत्व किया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना, और अमूल की स्थापना की, जिससे किसानों, खासकर महिलाओं को सहकारी समितियों के माध्यम से सशक्त बनाया। |
ऑपरेशन फ्लड का प्रभाव | इसने एक देशव्यापी दूध सहकारी नेटवर्क तैयार किया, जो बिचौलियों को समाप्त करता है, ग्रामीण किसानों को स्थिर आय प्रदान करता है, उनके जीवनयापन को बेहतर बनाता है और उत्पादकता को बढ़ाता है। |
आर्थिक प्रभाव | डेयरी खेती लाखों ग्रामीण लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को सुधारने में मदद करती है। |
भारत के लिए महत्व | दूध के स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देता है, जैसे कि हड्डियों को मजबूत बनाना, इम्युनिटी बढ़ाना, और विकास को बढ़ावा देना, साथ ही ग्रामीण समुदायों, विशेष रूप से महिला किसानों को सशक्त बनाता है। |
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