हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022 शुरू की है। इसका उद्देश्य ‘अंतिम छोर तक त्वरित वितरण’ करना है, साथ ही परिवहन से संबंधित चुनौतियों को समाप्त करना है। प्रधानमंत्री ने इस पॉलिसी की शुरुआत करते हुए इसकी सभी खूबियां गिनाईं और अपने संबोधन में कहा कि विकास की तरफ बढ़ते भारत को यह नीति एक नई दिशा देगी।
इस राष्ट्रीय रसद नीति के लागू होने के बाद कोविड से प्रभावित अर्थ व्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। इससे सामानों की सप्लाई में आने वाली समस्याओं को हल करने में सहायता मिलेगी और साथ ही माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी फायदा होगा। फिलहाल भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई हेतु ज्यादातर सड़क, उसके बाद जल परिवहन और फिर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश इसी के लिए 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं। इस पॉलिसी के लागू होने से लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी तथा इस पर खर्च भी कम हो जाएगा।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति में सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया गया है जिसका उद्देश्य अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाना है, जो अभी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है। फिलहाल माल ढुलाई यानी लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर का काम भारत में सड़कों के माध्यम से होता है। इस पॉलिसी के अंतर्गत अब माल ढुलाई का काम रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट से होगा। इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा तथा दूसरे ईंधन की बचत होगी। पैसे और समय दोनों कम लगेंगे।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के शुभारंभ के साथ पीएम गति शक्ति को और बढ़ावा एवं पूरकता मिलेगी। यह नीति इस क्षेत्र को देश में एक एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला तथा सतत लॉजिस्टिक परितंत्र बनाने में सहायता करेगी क्योंकि यह नियमों को सुव्यवस्थित करने व आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी बुनियादों को कवर करती है। यह नीति भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का एक प्रयास है।
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