भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है।
यह दिन देश के हथकरघा उद्योग के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, तथा भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने और सांस्कृतिक पहचान में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है।
इस दिन का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व को पुनर्स्थापित करना, हथकरघा कारीगरों के योगदान को मान्यता देना और इस पारंपरिक उद्योग को समर्थन प्रदान करना है। यह दिन न केवल कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए है, बल्कि युवाओं को भी इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2024 की थीम “सस्टेनेबल हैंडलूम: हरित और समृद्ध भविष्य की ओर” है। इस थीम का उद्देश्य स्थायी और पर्यावरण-हितैषी हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना है, जो न केवल पर्यावरण को संरक्षित करता है बल्कि कारीगरों के जीवन को भी समृद्ध बनाता है। इस थीम के तहत विभिन्न पहलें शुरू की जाएंगी जो हरे-भरे और टिकाऊ विकास को प्रोत्साहित करेंगी।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत 7 अगस्त 2015 को हुई थी। इस तिथि का चयन बंगाल विभाजन के विरोध में हुए स्वदेशी आंदोलन की याद में किया गया, जो 7 अगस्त 1905 को प्रारंभ हुआ था। इस आंदोलन ने भारतीयों को स्वदेशी वस्त्र और उत्पाद अपनाने के लिए प्रेरित किया और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया।
भारत में हथकरघा उद्योग का एक लंबा और समृद्ध इतिहास है। यह उद्योग भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हथकरघा से बने वस्त्र न केवल उच्च गुणवत्ता के होते हैं बल्कि उनकी डिजाइन और कारीगरी भी अद्वितीय होती है।
हथकरघा उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें लाखों कारीगर और बुनकर शामिल हैं। यह उद्योग ग्रामीण समुदायों को रोजगार प्रदान करता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। इसके अलावा, हथकरघा उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, क्योंकि इनका उत्पादन प्राकृतिक रेशों और रंगों का उपयोग करके किया जाता है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस न केवल एक वार्षिक उत्सव है, बल्कि यह हथकरघा उद्योग के विकास और संरक्षण के लिए एक सतत प्रयास है। इस दिन के माध्यम से सरकार और समाज मिलकर हथकरघा कारीगरों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का प्रयास करते हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पारंपरिक उद्योग और कारीगर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं, जिन्हें संरक्षित और प्रोत्साहित करना हमारी जिम्मेदारी है।
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