National Epilepsy Day 2025: जानें क्यों हर साल मनाते हैं राष्ट्रीय मिर्गी दिवस?

भारत में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य केवल एक बीमारी के बारे में जानकारी देना नहीं, बल्कि उससे जुड़े डर, गलतफहमियों और सामाजिक भेदभाव को खत्म करना भी है। एपिलेप्सी यानी मिर्गी को लेकर आज भी लोगों में कई मिथक मौजूद हैं, जबकि यह एक उपचार योग्य न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। यही वजह है कि यह दिन पूरे देश में जागरूकता फैलाने का एक बड़ा मंच बन चुका है। यह दिन मिर्गी—एक तंत्रिका संबंधी विकार—के बारे में जागरूकता बढ़ाने, गलतफहमियाँ दूर करने, समय पर उपचार प्रोत्साहित करने और मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए एक समझदार, सहायक वातावरण बनाने के लिए समर्पित है।

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस क्या है?

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस हर वर्ष मनाया जाता है ताकि लोगों में मिर्गी के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य है—

  • बार-बार होने वाले दौरे (seizures) को एक उपचार योग्य चिकित्सीय स्थिति के रूप में पहचानना

  • समय पर और सटीक निदान

  • सही और लगातार उपचार का पालन

  • समाज और कार्यस्थल में स्वीकार्यता और समर्थन को बढ़ावा देना

मिर्गी दुनिया में सबसे आम तंत्रिका विकारों में से एक है, लेकिन इसके बावजूद इसके साथ अनेक मिथक, डर और सामाजिक कलंक जुड़े हुए हैं। यह दिन लोगों को सिखाता है कि दौरे के दौरान सही तरीके से कैसे प्रतिक्रिया दें और यह समझें कि मिर्गी कोई श्राप नहीं, बल्कि एक चिकित्सीय स्थिति है।

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025 कब है?

भारत में राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025, रविवार, 17 नवंबर को मनाया जाएगा।
इस दिन देशभर में न्यूरोलॉजिस्ट, अस्पताल, गैर-लाभकारी संस्थाएँ और स्वयंसेवी संगठन—

  • जागरूकता अभियान

  • कार्यशालाएँ

  • स्वास्थ्य परीक्षण शिविर

  • स्कूल और कार्यस्थलों में संवेदनशीलता कार्यक्रम

आयोजित करते हैं।

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का महत्व

दुनिया भर में लगभग 5 करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं, जिनमें से करीब 1 करोड़ भारत में हैं।
हालाँकि 70% मामले उचित इलाज से नियंत्रित किए जा सकते हैं, परंतु सामाजिक कलंक और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच के कारण बहुत से लोग निदान या उपचार से वंचित रह जाते हैं।

इस दिन का महत्व:

  • समाज में फैले डर और भेदभाव को कम करना

  • लोगों को समय पर डॉक्टर से मिलने के लिए प्रोत्साहित करना

  • कार्यस्थल, स्कूल और सामाजिक जीवन में होने वाले भेदभाव का मुकाबला

  • मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य को मजबूत करना

  • स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार, दवाओं और विशेषज्ञ देखभाल की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का इतिहास

यह दिवस एपिलेप्सी फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा शुरू किया गया था, जिसके प्रमुख डॉ. निर्मल सुर्या हैं।
इसका लक्ष्य मिर्गी से जुड़े कलंक को कम करना और मरीजों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाना था।

समय के साथ यह आंदोलन—

  • मुफ्त परामर्श शिविर

  • स्कूलों और कार्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम

  • सामुदायिक सहायता नेटवर्क

जैसे अनेक प्रयासों के माध्यम से देशभर में व्यापक रूप से फैल चुका है।

मिर्गी का निदान कैसे किया जाता है?

मिर्गी की पहचान विस्तृत चिकित्सीय इतिहास, परीक्षण और विशेष जाँचों से की जाती है—

1. ईईजी (EEG)

  • मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि मापता है

  • दौरे से जुड़े असामान्य पैटर्न पहचानता है

2. एमआरआई या सीटी स्कैन

  • मस्तिष्क की संरचनात्मक गड़बड़ियाँ पता करता है
    (जैसे ट्यूमर, चोट, जन्मजात विकृति)

3. रक्त परीक्षण

  • मेटाबॉलिक या आनुवांशिक कारणों की जांच
    (उदाहरण: इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन)

4. न्यूरोलॉजिकल परीक्षण

  • रिफ्लेक्स, समन्वय, स्मृति, सोच और मोटर कार्यों का मूल्यांकन

5. वीडियो-EEG मॉनिटरिंग

  • लंबे समय तक वीडियो और EEG रिकॉर्डिंग

  • वास्तविक दौरे की प्रकृति समझने में मदद

मिर्गी के साथ जीवन: मरीजों और देखभालकर्ताओं के लिए सुझाव

मिर्गी के साथ सकारात्मक जीवन जीने में चिकित्सा, जीवनशैली और समर्थन—तीनों महत्वपूर्ण हैं।

चिकित्सीय सुझाव

  • दवा समय पर और नियमित रूप से लें

  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न रोकें

जीवनशैली प्रबंधन

  • पर्याप्त नींद लें—नींद की कमी दौरे का कारण बन सकती है

  • तनाव कम करें—योग, ध्यान, हल्का व्यायाम

  • पहचाने गए ट्रिगर्स से बचें
    (जैसे शराब, फ्लैशिंग लाइट्स, भूखा रहना, अत्यधिक तनाव)

सुरक्षा उपाय

  • बाहर एक्टिविटी करते समय हेलमेट पहनें

  • डॉक्टर की अनुमति के बिना अकेले ड्राइविंग या तैराकी से बचें

सहयोग नेटवर्क बनाएं

  • परिवार और दोस्तों को दौरे के दौरान प्राथमिक सहायता सिखाएँ

    • शांत रहें

    • व्यक्ति को करवट पर लिटाएँ

    • चोट से बचाएँ

    • व्यक्ति को पकड़कर रोकने की कोशिश न करें

सही उपचार और जागरूकता के साथ, मिर्गी के मरीज पूर्ण, स्वतंत्र और संतुलित जीवन जी सकते हैं।

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vikash

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