भारत में एक प्रख्यात चिकित्सक, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ डॉ बिधान चंद्र रॉय (Dr Bidhan Chandra Roy) की जयंती के उपलक्ष्य में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor’s Day) मनाया जाता है। डॉक्टर्स डे दुनियाभर में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। यह तिथि हर देश में भिन्न है। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस उन डॉक्टरों की भूमिका को चिह्नित करता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए अथक परिश्रम करते हैं कि रोगी का स्वास्थ्य अच्छा रहें। यह दिन स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए किए गए प्रयासों का जश्न मनाता है।
हर साल डॉक्टर्स डे को किसी न किसी थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 में नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम है- “Healing Hands, Caring Hearts”
इस दिन को मनाने का मकसद डॉक्टर्स के योगदान, उनके कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। जो अपने सुख-दुख को त्याग कर मरीजों के लिए जीते हैं। समाज को रोगमुक्त रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, तो उनके इस योगदान को सेलिब्रेट करना है इस दिन को मनाने का मकसद। कोविड संक्रमण के दौरान डॉक्टर्स ही थे, जो बिना अपनी जान की परवाह किए घंटे लगातार ड्यूटी कर रहे थे। कई डॉक्टर्स ने अपनी जान भी गंवा दी। इन डॉक्टर्स के बलिदान को भी आज के दिन याद किया जाता है।
दुनिया के हर देश में अलग-अलग तारीख को डॉक्टर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। वहीं भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हर साल देश में राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस के कार्यक्रम का आयोजन करती है।
इस दिन की स्थापना 1991 में की गई थी। इस दिन डॉ बिधान चंद्र रॉय को याद किया जाता है। वे एक प्रसिद्ध चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे। विशेष बात यह है कि उनका जन्मदिन और पुण्यतिथि एक ही दिन है। यह दिन डॉ रॉय के सम्मान में और मरीजों के लिए सभी डॉक्टर के प्रयास की सराहना के लिए मनाया जाता हैं।
डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1882 में पटना में हुआ था। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। डॉ बीसी रॉय ने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बाद में पटना कॉलेज में गणित ऑनर्स की पढ़ाई की। 1901 में, उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया। भारत में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ बीसी रॉय उच्च अध्ययन के लिए थोड़े से पैसे के साथ ही इंग्लैंड चले गए।
उन्हें बार-बार सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल में प्रवेश से मना कर दिया गया था लेकिन वे दृढ़ थे और अपना आवेदन जमा करते रहे। रिकार्ड्स के अनुसार लगभग 30 आवेदनों के बाद, डॉ बीसी रॉय को भर्ती कराया गया। केवल दो वर्षों में, वह रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन के सदस्य और रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स के अध्येता बन गए।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, डॉ बीसी रॉय महात्मा गांधी के करीबी बन गए। 1933 में, जब महात्मा पूना में उपवास शुरू कर रहे थे, तब डॉ बीसी रॉय उनसे मिलने गए। गांधीजी ने दवाओं से इनकार कर दिया था क्योंकि वे भारत में नहीं बनी थीं।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश और बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति हरजीत सिंह…
अर्मेनिया ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में 104वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल होकर…
काल भैरव जयंती भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप काल भैरव को समर्पित एक…
असम सरकार ने करीमगंज जिले का आधिकारिक नाम बदलकर श्रीभूमि जिला और करीमगंज नगर का…
भारत 25 से 30 नवंबर, 2024 के बीच नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA)…
बीमा उत्पादों के गलत और जबरन विक्रय (mis-selling and force-selling) के बढ़ते मामलों को देखते…