राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 को 21 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन देश भर में आयोजित होने वाले समारोहों और पुरस्कार कार्यक्रमों द्वारा चिह्नित किया जाता है, विशेष रूप से नई दिल्ली में, जहाँ प्रधानमंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सिविल सेवकों के उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं।
हम राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस क्यों मनाते हैं?
इस दिन की जड़ें 21 अप्रैल 1947 से जुड़ी हैं, जब भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नई दिल्ली स्थित मेटकाफ हाउस में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पहले बैच को संबोधित किया था। अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने इन अधिकारियों को “भारत की स्टील फ्रेम” कहा था, जो स्वतंत्र भारत में शासन व्यवस्था, एकता और अनुशासन बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता का सम्मान करना।
अधिकारियों को नैतिक शासन की ओर प्रेरित करना।
लोक प्रशासन में श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना।
युवाओं को सिविल सेवा को एक सार्थक करियर के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित करना।
चार्ल्स कॉर्नवालिस, जिन्होंने 1786 से 1793 तक भारत के गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया, को भारतीय सिविल सेवा का जनक माना जाता है। हालाँकि सिविल सेवा प्रणाली का उद्भव ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था, लेकिन कॉर्नवालिस ने भारत में एक पेशेवर, कुशल और उत्तरदायी प्रशासन की नींव रखी।
उनके प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
मेरिट आधारित नियुक्ति प्रक्रिया।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए निश्चित वेतन संरचना।
अधिकारियों के लिए नैतिक मानकों की स्थापना।
इन उपायों ने प्रशासन में अनुशासन और ईमानदारी की संस्कृति स्थापित की, जो आगे चलकर स्वतंत्र भारत की आधुनिक सिविल सेवा प्रणाली का आधार बनी।
इस अधिनियम ने भारतीयों को प्रशासनिक पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से चयन की अनुमति दी।
मुख्य विशेषताएँ:
भारतीयों के लिए उच्च सरकारी पदों में भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रारंभ में परीक्षाएँ लंदन में होती थीं, जिससे अधिकांश भारतीयों के लिए यह दुर्गम था।
समय के साथ परीक्षाएँ भारत में भी आयोजित होने लगीं, जिससे भारतीय प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई।
सिविल सेवा की अवधारणा भारत में ब्रिटिश शासन से पहले चीन में हान वंश (लगभग 200 ईसा पूर्व) के दौरान शुरू हुई थी। वहाँ यह प्रणाली निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित थी:
योग्यता आधारित चयन।
कन्फ्यूशियस विचारधारा पर आधारित परीक्षाएँ।
नैतिकता, दर्शन और शासन कौशल के आधार पर चयन।
बाद में ब्रिटेन ने इस मॉडल को अपनाया और अपनी उपनिवेशों में, विशेषकर भारत में, इसी प्रकार की सिविल सेवा प्रणाली की शुरुआत की।
भारत में राष्ट्रीय सिविल सेवा का हिस्सा बनने के लिए हर वर्ष संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) को उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। यह देश की सबसे प्रतिष्ठित और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में से एक है।
परीक्षा की संरचना:
प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के माध्यम से प्रारंभिक चयन।
मुख्य परीक्षा – वर्णनात्मक प्रश्नों के माध्यम से गहन ज्ञान की परीक्षा।
साक्षात्कार (व्यक्तित्व परीक्षण) – प्रशासनिक भूमिकाओं के लिए उपयुक्तता का मूल्यांकन।
चयन के बाद मिलने वाली प्रमुख सेवाएँ:
IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा)
IPS (भारतीय पुलिस सेवा)
IFS (भारतीय विदेश सेवा)
अन्य ग्रुप A एवं B सेवाएँ
ये अधिकारी प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ होते हैं और शासन व्यवस्था में परिवर्तन के वास्तविक सूत्रधार माने जाते हैं।
भारत सरकार ने 2006 में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाना आरंभ किया।
इस दिन का उद्देश्य:
1947 में सरदार पटेल के प्रेरणादायक भाषण की स्मृति।
उत्कृष्ट प्रशासनिक कार्यों और नैतिक मानकों की पहचान एवं सम्मान।
हर वर्ष इस दिन पर विशेष पुरस्कार समारोह होते हैं, जहाँ नवाचार और जनहित में उल्लेखनीय कार्य करने वाले अधिकारियों और जिलों को सम्मानित किया जाता है।
सिविल सेवक निम्नलिखित क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं:
सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।
कानून-व्यवस्था बनाए रखना और न्याय सुनिश्चित करना।
सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचा, और स्वच्छता का प्रबंधन।
आपदाओं, महामारी और आंतरिक सुरक्षा जैसे संकटों का समाधान।
संविधान की रक्षा और समावेशी शासन को सुनिश्चित करना।
ये अधिकारी जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करते हैं ताकि शासन की पहुँच हर नागरिक तक, चाहे वह कितना भी दूर क्यों न हो, सुनिश्चित की जा सके।
वर्ष 2025 का यह आयोजन केवल एक प्रतीकात्मक दिवस नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र में जनसेवा की भावना की पुनः पुष्टि का अवसर है।
इस दिवस का महत्व:
उत्कृष्टता का सम्मान: नवाचार और प्रभावी प्रशासन के लिए अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाता है।
सुधारों को प्रोत्साहन: सफल कार्यप्रणालियों को साझा किया जाता है और अन्य राज्यों में अपनाया जाता है।
युवाओं के लिए प्रेरणा: सिविल सेवा के इच्छुक युवाओं को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
मूल्यों की पुनः पुष्टि: अधिकारी पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा और राष्ट्र सेवा के प्रति अपने दायित्वों की याद दिलाते हैं।
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