भारत में, पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyaya) की जयंती को चिह्नित करने के लिए हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) मनाया जाता है। अंत्योदय का अर्थ “गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान” या “अंतिम व्यक्ति का उत्थान” (uplifting the poorest of the poor” or “rise of the last person)” है। यह दिन मोदी सरकार द्वारा 25 सितंबर 2014 को घोषित किया गया था और आधिकारिक तौर पर 2015 से मनाया जा रहा है।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में:
- 1916 में मथुरा में पैदा हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिनसे बाद में भाजपा का उदय हुआ। वे 1953 से 1968 तक भारतीय जनसंघ के नेता रहे।
- दीनदयाल उपाध्याय एक मानवतावादी, अर्थशास्त्री, पत्रकार, दार्शनिक और सक्षम राजनेता थे।
- दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS) में उनके सहपाठी बालूजी महाशब्दे (Baluji Mahashabde) द्वारा पेश किया गया था
- दीनदयाल उपाध्याय ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी। हालाँकि, वह सेवा में शामिल नहीं हुए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बन गए।
- 1940 के दशक में, दीनदयाल उपाध्याय ने हिंदुत्व राष्ट्रवाद की विचारधारा के प्रसार के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ से एक मासिक पत्रिका ‘राष्ट्र धर्म (Rashtra Dharma)’ का शुभारंभ किया। बाद में, उन्होंने ‘पांचजन्य (Panchjanya)’, एक साप्ताहिक पत्रिका और एक दैनिक, ‘स्वदेश (Swadesh)’ शुरू किया।
- दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद (Integral Humanism)’ के दार्शनिक विचार को 1965 में जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक सिद्धांत के रूप में अपनाया गया था।
- दीनदयाल उपाध्याय ने ‘समयनीत उपभोग’ (टिकाऊ उपभोग – sustainable consumption) की वकालत की। वह पश्चिम के पूंजीवादी समाजों द्वारा प्रचलित प्रकृति माँ के शोषण के पक्ष में नहीं थे।
- दीनदयाल उपाध्याय 11 फरवरी, 1968 की तड़के उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय (Mughalsarai) रेलवे स्टेशन के पास रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। बाद में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया कि उन्हें लुटेरों ने मार दिया था।