नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित दो नए अध्ययनों से पता चलता है कि चंद्रमा पर पहले के विचार से बहुत अधिक पानी हो सकता है, जिसमें चंद्र ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से “कोल्ड ट्रैप” में जमा बर्फ भी शामिल है. स्ट्रैटोस्फेरिक अब्ज़र्वटॉरी फॉर इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (SOFIA) एयरबोर्न टेलीस्कोप से डेटा का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने चांद्र की सतह को तीन की बजाय छह माइक्रोन से पहले की तुलना में अधिक सटीक तरंग दैर्ध्य पर स्कैन किया. इससे उन्हें आणविक जल के वर्णक्रमीय फिंगरप्रिंट को अलग करने की अनुमति देता है.
पिछले शोध में सतह को स्कैन करके पानी के संकेत मिले हैं, लेकिन ये पानी (H2O) और हाइड्रॉक्सिल, एक हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना एक अणु, के बीच अंतर करने में असमर्थ थे. लेकिन एक नए अध्ययन से आगे रासायनिक सबूत मिलता है कि चंद्रमा में आणविक पानी है, यहां तक कि सूरज की रोशनी वाले क्षेत्रों में भी.
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
भारत की राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने एक बार फिर ट्रैवल + लीजर इंडिया…
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज़ (BofA) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)…
भारत की रक्षा लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल तैयारियों को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए भारतीय सेना…
भारत का राइड-हेलिंग बाजार जनवरी 2026 से एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ने वाला है,…
भारत और सऊदी अरब ने अपने बढ़ते रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा…
भारत में कॉफी बागान एक वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, जो जैव-विविधता संरक्षण,…