असम का नागशंकर मंदिर कछुआ संरक्षण के लिए आधुनिक मंदिर बना

पूर्वोत्तर असम के बिश्वनाथ जिले में स्थित नागशंकर मंदिर को कछुओं के संरक्षण के लिए आदर्श मंदिर का दर्जा दिया गया है। यह सम्मान 23 मई, 2025 को विश्व कछुआ दिवस पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान दिया गया। इस कार्यक्रम में कछुओं के संरक्षण में मंदिर के महत्वपूर्ण कार्य का जश्न मनाया गया, जिनका असम की संस्कृति में गहरा सम्मान है।

नागशंकर में विश्व कछुआ दिवस का आयोजन

विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर नागशंकर मंदिर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कई संगठनों ने भाग लिया। इसमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम राज्य चिड़ियाघर, नागशंकर मंदिर समिति, चायदुर कॉलेज, और संरक्षण से जुड़ी संस्थाएं जैसे टर्टल सर्वाइवल अलायंस (TSA) फाउंडेशन इंडिया, आरण्यक तथा हेल्प अर्थ शामिल थे। इस कार्यक्रम में स्थानीय विधायक पद्मा हजारिका ने मंदिर की कछुआ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका को औपचारिक रूप से मान्यता दी। आयोजन के दौरान लोगों ने कछुओं पर आधारित गीत गाए और मीठे पानी के विभिन्न कछुओं की पहचान में मदद करने वाली एक विशेष पुस्तिका का विमोचन किया गया।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

असम में कछुओं को पवित्र माना जाता है और उन्हें भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। राज्य के कई मंदिरों के तालाब समय के साथ-साथ कछुओं के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल बन गए हैं। नागशंकर मंदिर इस परंपरा का एक उत्तम उदाहरण है। अब इस मंदिर को संरक्षण विशेषज्ञों, विशेषकर TSA फाउंडेशन, का सहयोग प्राप्त है।

समुदाय का सहयोग और ‘कासो मित्र’

इस कार्यक्रम में उन स्थानीय लोगों को भी सम्मानित किया गया जिन्हें “कासो मित्र” यानी कछुआ मित्र कहा जाता है। ये समुदाय सदस्य क्षेत्र में कछुओं की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। अंजलि दास, जो महिलाओं के एक बुनकर समूह ‘कासो सखी’ की अध्यक्ष हैं, ने बताया कि कछुए तालाबों और नदियों में सड़े-गले जीवों को खाकर जल को साफ करते हैं। उनका समूह कछुओं की डिज़ाइन वाले हथकरघा उत्पाद भी बनाता है ताकि लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके।

नागशंकर मंदिर में संरक्षित कछुओं की प्रजातियाँ
नागशंकर मंदिर में 13 प्रजातियों के मीठे पानी के कछुओं का संरक्षण किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

  1. ब्लैक सॉफ्टशेल टर्टल (Black Softshell Turtle) – अति संकटग्रस्त

  2. असम रूफ्ड टर्टल (Assam Roofed Turtle) – अति संकटग्रस्त

  3. इंडियन सॉफ्टशेल टर्टल (Indian Softshell Turtle) – संकटग्रस्त

  4. पीकॉक सॉफ्टशेल टर्टल (Peacock Softshell Turtle) – संकटग्रस्त

  5. इंडियन नैरो-हेडेड सॉफ्टशेल टर्टल (Indian Narrow-Headed Softshell Turtle) – संकटग्रस्त

  6. स्पॉटेड पोंड टर्टल (Spotted Pond Turtle) – संकटग्रस्त

  7. ट्राइकारिनेट हिल टर्टल (Tricarinate Hill Turtle) – संकटग्रस्त

  8. इंडियन फ्लैपशेल टर्टल (Indian Flapshell Turtle) – संवेदनशील

  9. इंडियन रूफ्ड टर्टल (Indian Roofed Turtle) – संवेदनशील

  10. ब्राउन रूफ्ड टर्टल (Brown Roofed Turtle) – लगभग संकटग्रस्त

  11. ब्राउन रूफ्ड टर्टल – लगभग संकटग्रस्त (दोहराया गया नाम)

  12. असम लीफ टर्टल (Assam Leaf Turtle) – लगभग संकटग्रस्त

  13. इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtle) – न्यूनतम चिंता

  14. इंडियन ब्लैक टर्टल (Indian Black Turtle) – न्यूनतम चिंता

इन वर्गीकरणों को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट के आधार पर तय किया गया है, जो यह दर्शाती है कि कौन-सी प्रजातियाँ कितनी संकट में हैं।

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vikash

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