कृषि प्रसंस्करण मूल्य शृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) और भारतीय वाणिज्यिक कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-NIRCA) ने आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और व्यक्तिगत किसानों के लिए एक संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र की प्रमुख फसलें—हल्दी और मिर्च—के लिए उत्पादन के बाद प्रबंधन एवं उन्नत प्रसंस्करण तकनीकों पर किसानों को प्रशिक्षित करना है।
25 जून 2025 को NIRCA के राजमहेंद्रवरम् परिसर में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में इस पहल की घोषणा की गई।
कार्यक्रम में NABARD और NIRCA के अधिकारियों ने वैज्ञानिक विधियों से भंडारण और हैंडलिंग के महत्व को रेखांकित किया ताकि नुकसान कम हो, गुणवत्ता बेहतर हो, और हल्दी व मिर्च का बाजार मूल्य बढ़ सके।
किसानों को वैज्ञानिक उत्पादन उपरांत विधियों से प्रशिक्षित करना।
नमी और सूक्ष्मजीवजनित संक्रमण के कारण होने वाले फसल नुकसान को कम करना।
मिर्च और हल्दी की निर्यात क्षमता एवं बाजार मूल्य को बढ़ाना।
FPOs को मूल्य संवर्धन तकनीकों में दक्ष बनाना।
प्रशिक्षण मॉड्यूल: सुखाने, छंटाई, भंडारण और पैकेजिंग पर केंद्रित।
क्षमता निर्माण: FPO कर्मचारियों और किसानों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और प्रमाणन पर प्रशिक्षण।
प्रौद्योगिकी का प्रचार: जलवाष्पन (dehydration) और संदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक मशीनों का प्रदर्शन।
इंटरएक्टिव सत्र: NIRCA निदेशक डॉ. एम. शेषु माधव और NABARD अधिकारियों द्वारा संचालित।
मिर्च और हल्दी जैसी नमी-संवेदनशील फसलें उत्पादन के बाद सही तरीके से न संभालने पर आसानी से खराब हो जाती हैं।
आंध्र प्रदेश भारत में हल्दी और मिर्च का प्रमुख उत्पादक राज्य है और इन फसलों का निर्यात में बड़ा योगदान है।
FPOs छोटे किसानों को संगठित करके बाजार में बेहतर सौदे और मूल्य संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
NABARD: भारत का शीर्ष ग्रामीण विकास वित्तीय संस्थान।
NIRCA (ICAR): वाणिज्यिक फसलों पर अनुसंधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत विशेष संस्थान।
स्थान: NIRCA परिसर, राजमहेंद्रवरम्, आंध्र प्रदेश।
तिथि: 25 जून 2025।
उत्पादन के बाद नुकसान और संदूषण में कमी आएगी।
मूल्य शृंखला एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसान की आमदनी बढ़ेगी।
वैज्ञानिक कृषि और तकनीकी उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
ग्रामीण कृषि व्यापार में FPOs की भूमिका और बाज़ार पहुँच मजबूत होगी।
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