स्वच्छ सर्वेक्षण 2024–25 की रैंकिंग कर्नाटक के लिए मिली-जुली रही। जहां बेंगलुरु ने उल्लेखनीय सुधार करते हुए 40 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 36वें स्थान पर पहुंचकर अपनी स्थिति बेहतर की, वहीं मैसूरु ने एक बार फिर स्वच्छता में अपना परचम लहराते हुए ‘सुपर स्वच्छ लीग’ (SSL) में जगह बनाई — यह मान्यता केवल उन्हीं शहरी क्षेत्रों को दी जाती है जो स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के तहत निरंतर स्वच्छता उत्कृष्टता हासिल करते हैं।
पृष्ठभूमि
स्वच्छ सर्वेक्षण, जिसे आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण है। इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी और यह कचरा संग्रहण, पृथक्करण, स्वच्छता, जनभागीदारी और नवाचार जैसे मापदंडों के आधार पर शहरों का मूल्यांकन करता है। नवीनतम संस्करण में शहरों को उनकी जनसंख्या श्रेणियों जैसे मिलियन-प्लस सिटी और 3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों के तहत रैंक किया गया।
बेंगलुरु की छलांग: 125वें से 36वें स्थान तक
बृहद बेंगलुरु महानगर पालिके (BBMP) ने 2023–24 में 125वें स्थान से सुधार करते हुए मिलियन-प्लस श्रेणी में 40 में से 36वां स्थान हासिल किया।
BBMP ने कुल 10,000 में से 5,642 अंक प्राप्त किए, जिसमें रिहायशी क्षेत्रों की स्वच्छता (100%) और बाजार क्षेत्रों की स्वच्छता (97%) में काफी प्रगति हुई।
हालांकि, सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता (27% बनाम पिछले वर्ष 87%) और स्रोत पर कचरा पृथक्करण (82% बनाम 99%) में गिरावट देखी गई।
लैंडफिल निपटान में फिर से शून्य अंक मिलने से यह स्पष्ट होता है कि विरासत कचरे के प्रबंधन में अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।
राज्य स्तर पर बेंगलुरु 3वें से फिसलकर 15वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि दावणगेरे और हुबली-धारवाड़ शीर्ष पर रहे।
मैसूरु की वापसी: सुपर स्वच्छ लीग में शामिल
2016 में भारत के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीतने वाला मैसूरु इस बार ‘सुपर स्वच्छ लीग’ में शामिल होकर शानदार वापसी की। 3 से 10 लाख आबादी की श्रेणी में इस शहर ने बेहतरीन स्वच्छता प्रणालियों, नागरिक भागीदारी और सामुदायिक सफाई अभियानों के जरिए यह उपलब्धि हासिल की। इस सफलता को शहर के सफाई कर्मचारियों (पौरकर्मिकों) ने भी गर्व के साथ मनाया, जिसे उन्होंने सामूहिक नागरिक प्रयास की जीत बताया। यह उपलब्धि इस बात को प्रमाणित करती है कि मैसूरु निरंतर स्वच्छता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है, चाहे पहले कुछ असफलताएं क्यों न रही हों।
प्रमुख निष्कर्ष और प्रभाव
यह रैंकिंग शहरी क्षेत्रों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, जनभागीदारी और स्वच्छता से जुड़ी बदलती चुनौतियों को उजागर करती है।
बेंगलुरु का प्रदर्शन सराहनीय है, लेकिन कचरा प्रसंस्करण, सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति और लैंडफिल सुधार जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
मैसूरु की सफलता उन शहरों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत करती है जो नीति, जनसहभागिता और योजना के संतुलन से स्वच्छता सुनिश्चित करना चाहते हैं।
‘सुपर स्वच्छ लीग’ की अवधारणा रैंकिंग को एक बार के प्रदर्शन की बजाय दीर्घकालिक निरंतर उत्कृष्टता पर आधारित मान्यता की दिशा में ले जाती है।
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