केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली में मिनर्वा अकादमी फुटबॉल क्लब (मोहाली) के युवा खिलाड़ियों का सम्मान किया। टीम ने हाल ही में वैश्विक युवा फुटबॉल में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए गॉथिया कप (स्वीडन), डाना कप (डेनमार्क) और नॉर्वे कप (नॉर्वे) जीतकर एक ही सीजन में यूरोपीय ट्रेबल अपने नाम किया। इसे भारतीय फुटबॉल का “नया अध्याय” बताते हुए उन्होंने खिलाड़ियों के जुनून, दृढ़ता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की।
मिनर्वा अकादमी एफसी की अंडर-14/15 टीम (22 खिलाड़ी) ने जुलाई-अगस्त 2025 के दौरान तीन सबसे प्रतिष्ठित युवा फुटबॉल टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया:
गॉथिया कप (स्वीडन) – जिसे “यूथ वर्ल्ड कप” कहा जाता है
डाना कप (डेनमार्क)
नॉर्वे कप (नॉर्वे)
टीम ने 26 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपराजित रहते हुए 295 गोल दागे और बेहद कम गोल खाए। उन्होंने अर्जेंटीना, ब्राज़ील, जर्मनी और स्पेन जैसी शीर्ष फुटबॉल देशों की युवा क्लब टीमों को हराया।
गॉथिया कप के फाइनल में, मिनर्वा ने अर्जेंटीना की एस्कुएला डी फुटबॉल 18 टुकुमान को 4–0 से मात दी, जिसने उनकी रणनीतिक अनुशासन और आक्रामक क्षमता को उजागर किया।
टीम के दो खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी चमक बिखेरी:
कोंथौजम योहेनबा सिंह – गॉथिया कप 2025 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी
हुइड्रोम टोनी – डाना कप 2025 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी
ये सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा का प्रमाण हैं बल्कि भारत के ग्रासरूट फुटबॉल ढांचे से निकलती नई प्रतिभा को भी उजागर करते हैं।
सम्मान समारोह में डॉ. मांडविया ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय फुटबॉल के भविष्य के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने जोर दिया कि:
युवा विकास, खेल विज्ञान, मानसिक दृढ़ता और पोषण अब भारत की खेल रणनीति का केंद्र होना चाहिए।
खिलाड़ियों को हर वैश्विक टूर्नामेंट में “राष्ट्र प्रथम” की भावना के साथ उतरना चाहिए।
खेलो इंडिया जैसी पहलें सतत खेल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में अहम भूमिका निभाएँगी।
यह सरकार की इस बढ़ती प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि भारत को वैश्विक खेल मंचों पर गंभीर दावेदार बनाया जाए।
मोहाली (पंजाब) स्थित मिनर्वा अकादमी एक खेलो इंडिया मान्यता प्राप्त अकादमी है और देश के सबसे प्रतिष्ठित युवा फुटबॉल विकास केंद्रों में गिनी जाती है। यह गॉथिया कप 2025 में भाग लेने वाले छह भारतीय क्लबों में से एक थी (U-14 बॉयज़ श्रेणी)।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में इसका निरंतर प्रदर्शन इसे भारत की युवा फुटबॉल प्रतिभा का एक अहम स्रोत बनाता है।
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