जिंगल बैल जिंगल बैल
जिंगल ऑल दी वे……. जी हाँ आज क्रिसमस डे है आप सभी चाहे कितने भी बड़े हों पर
इस दिन का उत्साह बच्चों और बड़ो सभी में एक जैसा होता है इसलिए भी यह त्यौहार सभी
के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
यूँ तो
क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है, ऐसा माना जाता
है यह त्योहार हर वर्ष 25 दिसंबर
को मनाया जाता है, इसी दिन प्रभु
ईसा मसीह या कहें जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था. ईसाईयों में क्रिस्मस के उत्सव की
शुरुआत चार हफ्ते पहले से ही होने लगती है और इसके 12वें दिन पर समाप्ति होती है, इसे पूरी दुनिया में एक धार्मिक और पारंपरिक पर्व
के रुप में मनाया जाता है.
जीसस क्राइस्ट एक महान संत थे और
उन्होंने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी, उन्होंने दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के
साथ रहने का संदेश दिया था, वो समझते थे कि
समाज में हर व्यक्ति एक समान है. इसलिए किसी को भी छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए
और सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए, इन्हें ईश्वर
का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है. उस समय के जो शासक उनको पसंद नहीं करते थे
उन्होंने जीसस को सूली पर लटका कर मार डाला था और ऐसी मान्यता है कि जीसस फिर से
जी उठे थे. दुनिया भर के अधिकतर
देशों में यह 24 दिसम्बर को मनाया जाता है. क्रिसमस की पूर्व
संध्या यानि 24 दिसम्बर को ही जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों में
इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं. ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में
क्रिसमस से अगला दिन यानि 26
दिसम्बर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है.
क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस
वृक्ष का विशेष महत्व है. सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की
जाती है. अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी.
यूरोप वासी भी
सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे. ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे. उनका विश्वास था
कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं।
यह त्योहार विश्वभर
में फैले ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है तथा
उनके बताए हुए मार्गों व उच्च आदर्शों पर चलने हेतु प्रेरित करता है. तो दोस्तों आप सभी इस
क्रिसमस डे का भरपूर आनंद लें, लेकिन अपनी प्राथमिकताओं को कभी ना भूलें.