केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको – आईएफएफसीओ) के नैनो यूरिया तरल (लिक्विड) संयंत्रों का उद्घाटन किया।इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ मांडविया ने कहा कि आज का दिन इसलिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि नैनो यूरिया संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया आने वाले समय में किसानों की प्रगति सुनिश्चित करने के साथ ही उनकी आय में वृद्धि करेगा। इस तरह यह हमारे किसान के भविष्य को बदल देगा।
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मुख्य बिंदु
- डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि यह पल्यूशन को कम करने वाला है और कीमत में भी सस्ता है। उन्होंने कहा है कि एक बोरी यूरिया को एक बोतल नैनो यूरिया रिप्लेस करती है। इसका मतलब यह है कि अब किसान को एक बोरी खरीद कर ट्रांसपोर्ट का पैसा नहीं देना पड़ेगा। बल्कि एक बोतल में ही एक बोरी का काम हो जाएगा।
- उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में किसान व्यापक तौर पर नैनो यूरिया का इस्तेमाल करेंगे। इससे आने वाले दिनों में किसान मिट्टी को बचाएंगे और अपना उत्पादन भी बढ़ाएंगे।
- केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा है कि नैनो यूरिया का देश में उत्पादन और प्रचार-प्रसार भी तेजी से बढ़ रहा है। इफको ने सबके से पहले गुजरात के कलोन में 2 लाख बोतल का उत्पादन प्रतिदिन हो सके इतना बड़ा प्लांट स्थापित किया है, जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
- इसके बाद आंवला और इफको फूलपुर में 2 लाख बोतल प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता वाले प्लांट का उद्घाटन मेरे द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा है कि किसानों के लिए इफको का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
- किसानों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमेशा किसानों की आय बढ़ाने और उनकी समृद्धि के लिए काम किया है और उन्होंने प्राकृतिक खेती, जैव उर्वरक और वैकल्पिक उर्वरकों पर भी जोर दिया है।
- उन्होंने कोविड के दौरान प्रधानमन्त्री की भूमिका की भी सराहना की, क्योंकि उस समय उर्वरकों की कीमतें बढ़ीं और यूरिया का एक बैग 4000 रुपये के स्तर को छू गया था, परन्तु प्रधानमन्त्री ने यह सुनिश्चित किया कि उर्वरकों के दाम न बढ़े।
- डॉ. मांडविया ने यह भी कहा कि यह एक वैकल्पिक उर्वरक है। हम वर्षों से उत्पादकता बढ़ाने के लिए यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल करते रहे हैं। जब हम सामान्य यूरिया का उपयोग करते हैं तो केवल 35% नाइट्रोजन (यूरिया का ही) उपज द्वारा प्रयोग किया जाता है और अप्रयुक्त यूरिया मिट्टी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
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