वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को आधिकारिक रूप से भारत का 58वां बाघ अभयारण्य घोषित किया गया है। इस घोषणा को 9 मार्च 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया, जिससे देश में जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिली है। इस मान्यता के साथ, मध्य प्रदेश में अब कुल नौ बाघ अभयारण्य हो गए हैं, जिससे यह राज्य ‘भारत का टाइगर स्टेट’ के रूप में और सशक्त हुआ है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान – स्थान और भौगोलिक महत्व
नव घोषित माधव टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है, जो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का हिस्सा है। यह क्षेत्र शुष्क पर्णपाती वनों, घास के मैदानों और जल निकायों का मिश्रण है, जो बाघों और अन्य वन्यजीव प्रजातियों के लिए आदर्श निवास स्थान प्रदान करता है।
माधव टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1,751 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें शामिल हैं:
- कोर एरिया: 375 वर्ग किलोमीटर
- बफर ज़ोन: 1,276 वर्ग किलोमीटर
इस अभयारण्य की स्थापना से वन्यजीव गलियारों को मजबूती मिलेगी और क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।
वर्तमान बाघ आबादी और पुनर्वास प्रयास
वर्तमान में, माधव टाइगर रिजर्व में कुल पांच बाघ हैं, जिनमें दो हाल ही में जन्मे शावक भी शामिल हैं। वर्ष 2023 में शुरू किए गए बाघ पुनर्वास परियोजना के तहत तीन बाघों (दो मादा सहित) को यहां स्थानांतरित किया गया था।
टाइगर रिजर्व के रूप में आधिकारिक मान्यता मिलने के बाद, जल्द ही दो और बाघों को यहां लाया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में बाघों की आनुवंशिक विविधता और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
संरक्षण महत्व और पारिस्थितिक प्रभाव
माधव टाइगर रिजर्व की स्थापना भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:
- बाघ संरक्षण: बंगाल टाइगर की आबादी को संरक्षित करने के लिए एक सुरक्षित आवास प्रदान करना।
- जैव विविधता संरक्षण: इस पार्क में तेंदुआ, भालू, हिरण और विभिन्न पक्षी प्रजातियों सहित कई वन्यजीव प्रजातियाँ निवास करती हैं।
- पर्यावरणीय स्थिरता: यह चंबल क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन और वनों के पुनर्जीवन में मदद करेगा।
- वन्यजीव पर्यटन और आर्थिक लाभ: यह अभयारण्य मध्य प्रदेश में पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय समुदायों को रोजगार और राजस्व प्राप्त होगा।
भारत में बाघ संरक्षण में नेतृत्व
भारत, 1973 में शुरू की गई ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक बाघ संरक्षण प्रयासों में अग्रणी रहा है। माधव टाइगर रिजर्व के जुड़ने के बाद, अब देश में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अंतर्गत कुल 58 बाघ अभयारण्य हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, देश ने वन्यजीव संरक्षण में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्तमान में, भारत विश्व की कुल 75% बाघ आबादी का घर है। यह नवीनतम उपलब्धि सरकार की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है।
पहलू | विवरण |
क्यों खबर में? | मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को 9 मार्च 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा आधिकारिक रूप से भारत का 58वां बाघ अभयारण्य घोषित किया गया। |
स्थान | शिवपुरी जिला, मध्य प्रदेश (ग्वालियर-चंबल क्षेत्र)। |
भौगोलिक विशेषताएँ | शुष्क पर्णपाती वन, घास के मैदान और जल निकाय। |
कुल क्षेत्रफल | 1,751 वर्ग किलोमीटर (कोर: 375 वर्ग किमी, बफर: 1,276 वर्ग किमी)। |
वर्तमान बाघ आबादी | 5 बाघ, जिनमें 2 शावक शामिल हैं। |
बाघ पुनर्वास | 2023 में शुरू हुआ, 3 बाघों को स्थानांतरित किया गया; जल्द ही 2 और बाघों को लाने की योजना। |
महत्व | वन्यजीव गलियारों को मजबूत करता है, जैव विविधता को बढ़ावा देता है और पारिस्थितिक पर्यटन को प्रोत्साहित करता है। |
पारिस्थितिक प्रभाव | बाघ संरक्षण को बढ़ावा, जैव विविधता का समर्थन और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना। |
मध्य प्रदेश की स्थिति | अब 9 बाघ अभयारण्य हैं, जिससे यह ‘भारत का टाइगर स्टेट’ के रूप में और मजबूत हुआ। |
भारत के संरक्षण प्रयास | भारत 58 बाघ अभयारण्यों के साथ वैश्विक बाघ संरक्षण में अग्रणी, विश्व की 75% बाघ आबादी भारत में। |
सरकारी पहल | प्रोजेक्ट टाइगर (1973 में शुरू), NTCA निगरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे संरक्षण उपाय। |