यूनेस्को (UNESCO) ने आधिकारिक रूप से लखनऊ को अपने क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN) में शामिल किया है, और उसे “सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” (City of Gastronomy) — अर्थात् “खानपान की नगरी” का दर्जा प्रदान किया है। यह प्रतिष्ठित मान्यता लखनऊ की सदियों पुरानी अवधी पाक-परंपरा (Awadhi Cuisine) और उसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब — अर्थात् हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति के अनूठे संगम — का सम्मान करती है। इस घोषणा के साथ लखनऊ के विश्वप्रसिद्ध कबाब, मिठाइयाँ और स्ट्रीट फूड अब वैश्विक पाक-संस्कृति के मानचित्र पर और अधिक उजागर हो गए हैं।
यह घोषणा उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित यूनेस्को के 43वें महासम्मेलन के दौरान की गई। यह लखनऊ और भारत दोनों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसने शहर को विश्व के शीर्ष खानपान केंद्रों में स्थान दिलाया है और भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को सशक्त किया है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन निदेशालय ने इस नामांकन के लिए संपूर्ण दस्तावेज तैयार किया।
प्रस्ताव को 31 जनवरी 2025 को संस्कृति मंत्रालय को भेजा गया।
भारत ने आधिकारिक रूप से 3 मार्च 2025 को लखनऊ को “City of Gastronomy” के रूप में नामांकित किया।
दस्तावेज़ में शहर की पाक विविधता, नवाचार, और सतत खाद्य परंपराओं को रेखांकित किया गया।
यह सफलता राज्य सरकार, स्थानीय शेफ, कारीगरों, और विरासत विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने लखनऊ की खानपान संस्कृति को वैश्विक स्तर पर संरक्षित और प्रोत्साहित करने में भूमिका निभाई।
लखनऊ की पहचान उसकी समृद्ध अवधी रसोई से जुड़ी है, जो अपनी राजसी परंपरा और कालजयी व्यंजनों के लिए जानी जाती है।
नामांकन में विशेष रूप से निम्नलिखित पारंपरिक व्यंजनों को प्रमुखता दी गई —
गलौटी कबाब और टुंडे कबाब — लखनऊ की शाही रसोई का प्रतीक।
निहारी-कुलचा, पुरी-कचौरी, और टोकरी चाट — प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन।
मलाई गिलोरी और मक्खन मलाई — मिठाइयाँ जो लखनऊ की सांस्कृतिक नज़ाकत दर्शाती हैं।
ये व्यंजन लखनऊ की संवेदनशील मिश्रित संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ सदियों से पाक-कला ने निरंतर सांस्कृतिक आदान-प्रदान और परिष्कार के माध्यम से विकास किया है।
यूनेस्को द्वारा प्राप्त यह उपाधि लखनऊ को कई प्रकार से लाभ पहुँचाएगी —
सतत एवं सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
स्थानीय शेफ, कारीगरों और छोटे खाद्य उद्यमों को सहयोग प्राप्त होगा।
पारंपरिक व्यंजनों और पाक विधियों का संरक्षण संभव होगा।
भारत की सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी।
अन्य यूनेस्को क्रिएटिव शहरों के साथ ज्ञान-विनिमय और नवाचार सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
यह उपलब्धि भारत की विविध पाक परंपराओं को विश्व मंच पर और सशक्त रूप में प्रस्तुत करती है तथा विरासत और आधुनिक नवाचार के समन्वय को प्रोत्साहित करती है।
लखनऊ के शामिल होने के साथ अब भारत के कुल नौ शहर इस प्रतिष्ठित नेटवर्क का हिस्सा बन गए हैं —
| शहर | श्रेणी | वर्ष |
|---|---|---|
| जयपुर | हस्तकला और लोक कला | 2015 |
| वाराणसी | संगीत | 2015 |
| चेन्नई | संगीत | 2017 |
| मुंबई | फिल्म | 2019 |
| हैदराबाद | खानपान (गैस्ट्रोनॉमी) | 2019 |
| श्रीनगर | हस्तकला और लोक कला | 2021 |
| ग्वालियर | संगीत | 2023 |
| कोझिकोड | साहित्य | 2023 |
| लखनऊ | खानपान (गैस्ट्रोनॉमी) | 2025 |
इस प्रकार, लखनऊ हैदराबाद के बाद भारत का दूसरा “सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” बन गया है, जो भारत की पाक-समृद्धि और विविधता को पुनः स्थापित करता है।
स्थापना वर्ष: 2004
उद्देश्य: उन शहरों को बढ़ावा देना जो संस्कृति, रचनात्मकता और नवाचार को सतत शहरी विकास की रणनीति के रूप में अपनाते हैं।
क्षेत्र: संगीत, फिल्म, साहित्य, डिजाइन, खानपान (गैस्ट्रोनॉमी), हस्तकला और लोक कला, तथा मीडिया आर्ट्स।
नेटवर्क का आकार: विश्वभर के 100 से अधिक देशों के 350+ शहर।
यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय सहयोग, ज्ञान-साझेदारी, और सांस्कृतिक रूप से प्रेरित आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है — जिससे शहर अपनी पहचान, विरासत और नवाचार को विश्व स्तर पर सशक्त बना सकें।
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