केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन प्रमुख विनियमों को 3 जून 2025 को अधिसूचित किया है। ये विनियम स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण, भाषा की मान्यता, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करते हैं। यह कदम लद्दाख की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने, स्थानीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और समावेशी शासन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
क्यों चर्चा में?
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राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए तीन विनियमों को अधिसूचित किया।
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ये विनियम लंबे समय से लद्दाखवासियों द्वारा की जा रही संस्कृति संरक्षण, स्थानीय रोजगार, और महिला सशक्तिकरण की मांगों को संबोधित करते हैं।
1. लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियम, 2025
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लद्दाख के स्थानीय निवासियों को सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण की गारंटी।
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यह 85% आरक्षण सीमा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का कोटा शामिल नहीं है।
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यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 के तहत लागू किया गया है, जिसे लद्दाख के पुनर्गठन के बाद अनुकूलित किया गया।
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यह संपूर्ण लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में लागू होगा।
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आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी कर इसे लागू किया जाएगा।
2. लद्दाख राजकीय भाषाएं विनियम, 2025
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अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।
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पहले से जारी कार्यों के लिए अंग्रेज़ी का उपयोग जारी रहेगा।
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स्थानीय भाषाओं के संरक्षण के लिए प्रावधान:
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शीना (दार्दी भाषी)
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ब्रोक्सकट (दार्दी भाषी)
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बाल्टी
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लद्दाखी
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कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की स्थापना का प्रस्ताव।
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लद्दाख के प्रशासक को संस्थागत ढांचे को सशक्त करने के अधिकार प्राप्त।
3. लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (संशोधन) विनियम, 2025
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लेह और कारगिल हिल काउंसिलों में महिलाओं के लिए 33% सीट आरक्षित।
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यह आरक्षण क्रमानुसार रोटेशन प्रणाली से विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में लागू होगा।
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उद्देश्य: स्थानीय स्वशासन में महिला भागीदारी को बढ़ावा देना।
कानूनी और संवैधानिक आधार
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अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति को विधानसभा रहित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कानून बनाने का अधिकार है।
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यह अधिकार जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 58 से प्राप्त हुआ है।
महत्व और प्रभाव
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लद्दाख के स्थानीय निवासियों को रोजगार में प्राथमिकता प्राप्त होगी।
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भाषाई विविधता और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
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महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा, जो अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है।
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यह पहल समावेशी और विकेंद्रीकृत शासन की दिशा में एक मजबूत कदम है।