भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का नया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति 14 मई 2025 से प्रभावी होगी और यह सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश को इस पद पर नियुक्त करने की परंपरा के अनुरूप है। अब न्यायमूर्ति सूर्यकांत देशभर में गरीबों और वंचित वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के इस राष्ट्रीय मिशन का नेतृत्व करेंगे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को NALSA का कार्यकारी अध्यक्ष नामित किया गया है — एक ऐसा प्रमुख संस्थान जो समाज के कमजोर वर्गों को कानूनी सेवाएं सुनिश्चित करता है। यह नियुक्ति अनुच्छेद 39-ए के तहत भारत के संवैधानिक दायित्व को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नियुक्ति की तिथि: 14 मई 2025 से प्रभावी
नियुक्तिकर्ता: भारत के राष्ट्रपति
पूर्ववर्ती अध्यक्ष: न्यायमूर्ति बी.आर. गवई
कानूनी प्रावधान: विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 3(2)(b) के तहत
वर्तमान पद: सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) के अध्यक्ष
वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं और मुख्य न्यायाधीश के बाद वरिष्ठता में दूसरे स्थान पर हैं।
कानूनी सहायता, न्यायिक सुधारों और न्याय तक पहुँच को लेकर विशेष योगदान।
पूर्व में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं।
स्थापना: 1995 (विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत)
मुख्यालय: नई दिल्ली
उद्देश्य: गरीब और वंचितों को मुफ्त कानूनी सेवा प्रदान करना
प्रमुख गतिविधियाँ: लोक अदालतें, कानूनी जागरूकता अभियान, विधिक सहायता शिविर
संवैधानिक आधार: भारत के संविधान का अनुच्छेद 39-ए (समान न्याय सुनिश्चित करने हेतु)
भारत की “न्याय तक पहुँच” प्रणाली को मजबूत करता है
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के संवैधानिक दायित्व को सुदृढ़ करता है
न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नेतृत्व में संस्थागत सुधारों और कानूनी सेवा अभियानों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है
| सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | न्यायमूर्ति सूर्यकांत NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त |
| नियुक्त व्यक्ति | न्यायमूर्ति सूर्यकांत |
| पद | NALSA (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) के कार्यकारी अध्यक्ष |
| नियुक्ति प्रभावी तिथि | 14 मई 2025 से |
| पूर्ववर्ती | न्यायमूर्ति बी.आर. गवई |
| नियुक्ति करने वाला | भारत के राष्ट्रपति |
| कानूनी आधार | विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 |
| मुख्य उद्देश्य | कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराना |
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