वर्तमान ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के दौरान हासिल एक और उल्लेखनीय उपलब्धि में, केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ने 20 जिलों के 285 ब्लॉकों में अपने सभी 6650 गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया है। केन्द्र शासित प्रदेश के सभी गांवों के लिए ओडीएफ प्लस मॉडल की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह प्रत्येक गांव में गंदले पानी (ग्रे वाटर) और ठोस कचरे का प्रबंधन करके स्वच्छता की दिशा में शौचालयों के निर्माण और उपयोग करने से बढ़कर उपलब्धि प्राप्त करना है। किसी गांव को ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल करने के लिए ओडीएफ प्लस के तीन चरणों महत्वाकांक्षी, उन्नतिशील और आदर्श गांव से गुजरना पड़ता है। जब कोई गांव ठोस और तरल कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) और पर्याप्त स्वच्छता जागरूकता सृजन कार्यों के अलावा न्यूनतम कूड़े और ठहरे हुए पानी के साथ देखने में स्वच्छ होने की स्थिति प्राप्त कर लेता है, तो इसे ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया जाता है।
सभी गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल बनाने के अपने प्रयास में, कार्यान्वयन से पहले सभी हितधारकों को साथ लेकर व्यापक योजनाएं बनाई गईं। प्रत्येक गाँव के लिए ग्राम स्वच्छता परिपूर्णता योजना (वीएसएसपी) यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी कि उसके पास एसएलडब्ल्यूएम के लिए संपत्ति उपलब्ध है। योजनाओं के आधार पर, एसबीएमजी और मनरेगा के तहत काफी एसएलडब्ल्यूएम बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है। गंदले पानी (ग्रे वाटर) के प्रबंधन अर्थात रसोई, स्नान आदि से उत्पन्न जल के लिए घरेलू एवं सामुदायिक स्तर पर सोक पिट, मैजिक एवं लीच पिट विकसित किये गये हैं। जम्मू-कश्मीर में व्यक्तिगत तौर पर 4,83,404 सोक पिट और 24,088 सामुदायिक सोक पिट बनाए गए हैं। जहां भी किचन गार्डन उपलब्ध हैं वहां लोगों को किचन गार्डन के माध्यम से गंदले पानी (ग्रे वाटर) का निपटान करने के लिए प्रेरित किया गया है।
बायोडिग्रेडेबल कचरा प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत एवं सामुदायिक कम्पोस्ट पिट का निर्माण किया गया है। 1,77,442 व्यक्तिगत कम्पोस्ट पिट और 12621 सामुदायिक कम्पोस्ट पिट या तो सरकार द्वारा या लोगों द्वारा स्वयं अपने घरों में मनरेगा के तहत बनाए गए हैं।इनमें अधिकाधिक परिसंपत्तियों का निर्माण करते समय लोग अपने जैविक कचरे, चाहे वह ठोस हो या तरल, के स्व-निपटान को स्वीकार करते हुए उसे अपना रहे हैं। लोगों को सूखे और गीले कचरे को अलग करने और गीले कचरे को खाद गड्ढों में संसाधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कचरे के उचित निपटान के लिए 6509 कचरा संग्रहण एवं पृथक्करण शेडों का निर्माण किया गया है। ओडीएफ और ओडीएफ प्लस की यात्रा शुरू होने के बाद से जम्मू-कश्मीर में 5523 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों और 17,46,619 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का भी निर्माण किया गया है।
गोबरधन जो कार्बनिक जैव कृषि संसाधन है, कचरे से धन बनाने की एकपहल है जहां जानवरों के गोबर और रसोई के कचरे का उपयोग बायोगैस/बायो स्लरी उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। जबकि जम्मू-कश्मीर में ऐसी दो परियोजनाएं पहले से ही कार्य कर रही हैं, 18 और परियोजनाएं पूरी होने के अंतिम चरण में हैं। सभी पंचायतों में घर-घर जाकर कचरा संग्रहण शुरू कर दिया गया है। स्थानीय लोगों, युवा क्लबों, गैर सरकारी संगठनों और विशेषज्ञ एजेंसियों की भागीदारी के माध्यम से, घरों से कचरा एकत्र किया जा रहा है, जिसे पृथक्करण शेड में ले जाया जाता है, जहां कचरे को इसके निपटान के लिए विभिन्न श्रेणियों जैसे कागज, लकड़ी, प्लास्टिक आदि में अलग किया जाता है। इनमें से कुछ पृथक्करण शेड बेलर, श्रेडर आदि के साथ अर्ध-मशीनीकृत हैं। उपयोगकर्ता शुल्क सरकारी और निजी दोनों, घरों, वाणिज्यिक और संस्थागत प्रतिष्ठानों से एकत्र किया जा रहा है। सभी जिलों के लिए उनकी कचरा संग्रहण एजेंसी के आधार पर एक वित्तीय मॉडल तैयार किया गया है, ताकि कचरा संग्रहण तंत्र की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके और कचरे के निपटान से पंचायतों के लिए राजस्व भी उत्पन्न किया जा सके, जिससे इस कचरे को धन में परिवर्तित किया जा सके।
किसी गांव को ओडीएफ प्लस घोषित करने के लिए स्पष्ट दृश्य के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग अपलोड करने के अलावा, आयोजित ग्राम सभाओं के वीडियो और अपने गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित करने के लिए सभी को पोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक है, जिससे पूरी प्रक्रिया बहुत पारदर्शी और सार्वजनिक हो जाती है। ज़मीनी स्तर पर किए गए कार्यों को ब्लॉकों और जिलों द्वारा एसबीएम-जी के आईएमआईएस पोर्टल पर दर्ज किया गया और अपडेट किया गया, जिससे जम्मू-कश्मीर को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित करने में मदद मिली, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
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