रूप में गठन को चिह्नित करता है। इससे पहले झारखंड दक्षिण बिहार का हिस्सा था। 15 नवंबर को एक और विशेषता मिलती है, क्योंकि यह प्रसिद्ध आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती भी है।
2000 से पहले, झारखंड बिहार का हिस्सा था। इस क्षेत्र के कई आदिवासी समुदाय अपनी अनदेखी और उचित प्रतिनिधित्व की कमी के कारण अपने राज्य की मांग कर रहे थे। झारखंड की अलग पहचान की मांग 1900 के शुरुआती दौर में शुरू हुई, जब आदिवासी नेताओं ने अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं को मान्यता दिलाने के लिए प्रयास किए।
2000 में, भारतीय संसद ने बिहार पुनर्गठन अधिनियम (Bihar Reorganization Act) पारित किया, जिसने झारखंड को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी। यह उन आदिवासी समुदायों की एक बड़ी उपलब्धि थी, जिन्होंने आत्म-शासन के अधिकार के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया।
हर साल झारखंड स्थापना दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राज्य की राजधानी रांची और अन्य जिलों में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
झारखंड अपनी जीवंत आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
झारखंड प्राकृतिक सुंदरता और खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य है।
झारखंड स्थापना दिवस न केवल राज्य की ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि इसकी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी परंपराओं को संरक्षित करने की प्रेरणा भी है।
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