जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 13 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करके एक और उपलब्धि हासिल की है। ‘गति और पैमाने’ के साथ काम करते हुए, जीवन बदल देने वाले मिशन ने अगस्त, 2019 में मिशन की शुरुआत में केवल 3.23 करोड़ घरों में ग्रामीण नल कनेक्शन प्रदान किये थे जो 4 वर्षों में बढ़कर 13 करोड़ पर पहुंच चुका है। जल जीवन मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से की थी।
अब तक, 6 राज्यों अर्थात् गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश) और 3 केंद्र शासित प्रदेशों – पुदुचेरी, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने 100 प्रतिशत कवरेज की सूचना दी है। निकट भविष्य में बिहार 96.39 प्रतिशत पर, मिजोरम 92.12 प्रतिशत पर परिपूर्णता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। गोवा, हरियाणा, पंजाब, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दादरा व नगर हवेली और दमन और दीव ‘हर घर जल प्रमाणित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं यानी, इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, ग्रामीणों ने ग्राम सभाओं के माध्यम से पुष्टि की है कि गांव में ‘सभी घर और सार्वजनिक संस्थानों’ को पानी की पर्याप्त, सुरक्षित और नियमित आपूर्ति हो रही है। देश के 145 जिलों और 1,86,818 गांवों ने 100 प्रतिशत कवरेज की सूचना दी है।
मिशन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में कार्यक्रम को कार्यान्वित करता है और यह विकास भागीदारों सहित सभी के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है कि रूपांतरकारी बदलाव जमीन पर देखा जाता है। हर सेकंड एक नल जल कनेक्शन स्थापित किया जा रहा है जिससे देश का ग्रामीण परिदृश्य बदल रहा है। 1 जनवरी 2023 से रोजाना औसतन 87,500 नल कनेक्शन दिए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने जनवरी 2023 से 61.05 लाख चालू घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) लगाकर चालू वित्त वर्ष में प्रगति चार्ट में शीर्ष पर है।
केंद्र और राज्य सरकारों के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के 9.15 लाख (88.73 प्रतिशत) स्कूलों और 9.52 लाख (84.69 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान सुनिश्चित हुआ है। हमारे देश के 112 आकांक्षी जिलों में, मिशन के शुभारंभ के समय, केवल 21.41 लाख (7.86 प्रतिशत) घरों में नल का पानी उपलब्ध था जो अब बढ़कर 1.81 करोड़ (66.48 प्रतिशत) हो गया है।
‘हर घर जल’ के तहत काम के परिणामस्वरूप ग्रामीण आबादी को महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ हो रहा है। नियमित नल जल आपूर्ति से लोगों, विशेषकर महिलाओं और युवा लड़कियों को अपनी दैनिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी से भरी बाल्टी ढोने की सदियों पुरानी मेहनत से राहत मिली है। बचे हुए समय का उपयोग आय सृजन गतिविधियों, नए कौशल सीखने और बच्चों की शिक्षा में सहायता के लिए किया जा सकता है।
योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए, शुरू से ही सामुदायिक भागीदारी ग्रामीण पाइप लाइन जलापूर्ति योजनाओं की योजना, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) के केंद्र में रही है। देश में 5.27 लाख से अधिक ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समितियां गठित की गई हैं और 5.12 लाख ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) तैयार की गई हैं, जिनमें पेयजल स्रोत संवर्धन, ग्रेवाटर उपचार और इसके पुन: उपयोग और गाँव में जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन एवं रखरखाव की नियमित योजनाएं शामिल हैं।
जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय, 1.79 करोड़ आबादी (आर्सेनिक-1.19 करोड़, फ्लोराइड-0.59 करोड़) वाली 22,016 बस्तियां (आर्सेनिक-14,020, फ्लोराइड-7,996) पेयजल स्रोतों में आर्सेनिक/फ्लोराइड संदूषण से प्रभावित थीं। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट के अनुसार, अब सभी आर्सेनिक/फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है।
जल जीवन मिशन न केवल पानी उपलब्ध कराने में विश्वास रखता है बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी विश्वास रखता है कि हर बार गुणवत्तापूर्ण पानी की आपूर्ति की जाए। इस संबंध में स्रोत और वितरण बिंदुओं से पानी के नमूने नियमित रूप से एकत्र किए जाते हैं और जांच की जाती है। विभाग द्वारा किए गए कार्यों को मान्यता देते हुए, इस वर्ष कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा डब्ल्यूक्यूएमआईएस को “एप्लीकेशन ऑफ एमर्जिंग टेक्नोलॉजीस फॉर प्रोमोटिंग सिटिजन सेंट्रिक सर्विसेस’ श्रेणी के तहत रजत पुरस्कार प्रदान किया गया।
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