भारत में हरित हाइड्रोजन या ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन में रुचि बढ़ रही है, जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उत्पादित हाइड्रोजन है। ग्रीन हाउस ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर देता है क्योंकि इसे जलाने पर इसमें कोई कार्बन डाइऑक्साइड नहीं होता है।
इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में प्राथमिक तत्व के रूप में पानी का उपयोग शामिल होता है जिसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से विद्युत प्रवाह उत्पन्न करने के लिए किया जाता है ताकि इसे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस में तोड़ा जा सके।
इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोजन ऊर्जा का 100% टिकाऊ स्रोत है क्योंकि यह उत्पादन प्रक्रिया के दौरान किसी भी हानिकारक गैस का उत्सर्जन नहीं करता है या किसी भी प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण का कारण नहीं बनता है।
ऊर्जा भंडारण और गतिशीलता: हरित हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा की आंतरायिकता (Intermittencies) को पूरा करने के लिये आवश्यक होगा।
उच्च उत्पादन लागत: वर्तमान में जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अधिक महँगा है।
ऐसा इसलिये है क्योंकि विद्युत-अपघटन की प्रक्रिया (जिसका उपयोग हरित हाइड्रोजन उत्पादन करने के लिये किया जाता है) के लिये बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है और भारत में नवीकरणीय बिजली की लागत अभी भी अपेक्षाकृत अधिक है।
अवसंरचना की कमी: वर्तमान में भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिये अवसंरचना की कमी है।
इसमें हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशनों और हाइड्रोजन के परिवहन के लिये पाइपलाइनों की कमी भी शामिल है।
सीमित अभिग्रहण: हरित हाइड्रोजन के संभावित लाभों के बावजूद, वर्तमान में भारत में इस प्रौद्योगिकी को सीमित रूप से ही अपनाया जा रहा है।
आम लोगों के बीच हरित हाइड्रोजन के बारे में जागरूकता एवं समझ की कमी के साथ-साथ इस प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिये व्यवसायों के लिये प्रोत्साहन की कमी के कारण यह स्थिति है।
आर्थिक संवहनीयता: व्यावसायिक रूप से हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिये हरित हाइड्रोजन का निष्कर्षण उद्योग के समक्ष विद्यमान सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
परिवहन फ्यूल सेल के लिये, हाइड्रोजन को प्रति मील आधार पर पारंपरिक ईंधन एवं प्रौद्योगिकियों के साथ लागत-प्रतिस्पर्द्धी होना चाहिये।
हरित हाइड्रोजन का उपयोग उन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने के लिए किया जा सकता है जिनका विद्युतीकरण करना कठिन है, जैसे सीमेंट उत्पादन। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन को सीमित करने में मदद मिलती है।
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