ISRO के अध्यक्ष वी नारायणन ने आईआईटी मद्रास में थर्मल रिसर्च सेंटर का शुभारंभ किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। आईआईटी मद्रास में “श्री एस रामकृष्णन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन फ्लूइड एंड थर्मल साइंस रिसर्च” की स्थापना की गई है। इस अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने किया। यह केंद्र अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में जटिल तापीय चुनौतियों को हल करने पर केंद्रित रहेगा।

मुख्य बिंदु:

  1. अनुसंधान केंद्र के बारे में:

    • इस केंद्र का नाम प्रतिष्ठित एयरोस्पेस इंजीनियर और आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र श्री एस. रामकृष्णन के सम्मान में रखा गया है।
    • यह केंद्र आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में स्थित है।
    • इसका उद्देश्य अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए तापीय और द्रव विज्ञान अनुसंधान को उन्नत करना है।
  2. लक्ष्य और अनुसंधान क्षेत्र:

    • उपग्रहों और प्रक्षेपण यान में गर्मी अपव्यय (heat dissipation) की चुनौतियों को हल करना।
    • उन्नत शीतलन समाधान विकसित करना, जिनमें शामिल हैं:
      • माइक्रो हीट पाइप्स
      • वेपर चेंबर्स
      • स्प्रे कूलिंग
      • टू-फेज हीट ट्रांसफर डिवाइसेस
    • उच्च-स्तरीय सिमुलेशन और परीक्षण सुविधाओं का निर्माण
    • उपग्रहों की लंबी उम्र और सुरक्षा बढ़ाने के लिए थर्मल कंट्रोल सिस्टम को उन्नत करना
  3. ISRO-IIT मद्रास साझेदारी:

    • इसरो के वैज्ञानिक और इंजीनियर आईआईटी मद्रास के प्रोफेसरों के साथ मिलकर अनुसंधान करेंगे
    • यह सहयोग भारत के चंद्र, मंगल और गहरे अंतरिक्ष मिशनों को सहायता प्रदान करेगा।
    • इसरो के वैज्ञानिकों को आईआईटी मद्रास में उन्नत डिग्री हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
    • उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच भागीदारी को मजबूत किया जाएगा ताकि अत्याधुनिक अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके।
  4. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर प्रभाव:

    • अंतरिक्ष अभियानों की कार्यक्षमता और स्थायित्व में सुधार होगा
    • भारत को थर्मल प्रबंधन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद मिलेगी
    • भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में स्थिति मजबूत होगी
    • उन्नत अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता और प्रतिभाओं को आकर्षित किया जाएगा

यह केंद्र भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होगा और अंतरिक्ष विज्ञान में देश की अग्रणी भूमिका को और अधिक सशक्त करेगा।

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vikash

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