भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शुक्र ग्रह के लिए मिशन करने जा रहा है। इसके अलावा वह चंद्रमा के अंधेरे हिस्से का राज भी खोलेगा। इन दोनों मिशन में जापान की स्पेस एजेंसी इसरो के साथ मिलकर काम करेगी। इसरो के फ्यूचर मिशनों के बारे में यह जानकारियां फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी के डायरेक्टर अनिल भारद्वाज ने दी। उन्होंने बताया कि शुक्र और चंद्रमा के संयुक्त मिशन के अलावा इसरो मंगल पर भी एक और मिशन भेजेगा। इसरो इस समय कई स्पेस मिशन पर काम कर रहा है। अनिल भारद्वाज ने बताया कि इसरो और जैपनीज एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में रोवर भेजेंगे। ताकि चांद के अंधेरे वाले हिस्से के राज खोले जा सकें। चंद्रमा के स्थाई तौर पर अंधेरे में रहने वाले हिस्से के बारे में जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक मिशन करना चाहते हैं।
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शुरुआती योजना के तहत इस मिशन के लिए इसरो लूनर और रोवर बनाएगा। जापानी स्पेस एजेंसी के रॉकेट से उसे चंद्रमा पर भेजा जाएगा। लूनर-रोवर की लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास कराया जाएगा। ताकि अंधेरे वाले हिस्से में रोवर को आसानी से भेजा जा सके। चंद्रमा का अंधेरा वाला हिस्सा बेहद ठंडा इलाका है। क्योंकि वहां पर सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती. इस इलाके को पर्मानेंट शैडो रीजन (PSR) कहते हैं। इसके अलावा इसरो सूर्य मिशन भी कर रहा है। जिसका नाम है आदित्य एल-1 (Aditya L-1)। इस मिशन में 400 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट को सूरज की कक्षा में लैरेंज प्वाइंट एल-1 पर तैनात किया जाएगा। यह सैटेलाइट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर की कक्षा में सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसकी मदद से सूरज के कोरोनल हीटिंग, सोलर विंड, कोरोनल मास इजेक्शन, सौर लहरों और सूरज के मौसम का पता लगेगा।
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