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व्यभिचार अब अपराध नहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने किया IPC की धारा 497 को समाप्त

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशीय संविधान बेंच ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में अडल्टरी (व्यभिचार) के पूर्व स्वतंत्रता प्रावधान को समाप्त कर दिया है. जिसमें एक विवाहित महिला को उसके पति के स्वामित्व वाली वस्तु के रूप में माना जाता है. धारा 497 (अडल्टरी) एक पति को अपनी पत्नी के प्रेमी पर मुकदमा करने का अधिकार प्रदान करता है, और दोषी पाए जाने पर उसे पांच साल की सजा सुनाई जाती है.

एक पत्नी को उस महिला पर मुकदमा चलाने के लिए एक समान अधिकार नहीं दिया गया है जिसके साथ उसके पति ने व्यभिचार किया है. दूसरा, प्रावधान पत्नी को व्यभिचार के लिए अपने पति पर मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं देता है. इसके अलावा, धारा 497 कानून उन मामलों में नहीं है जहां पति अविवाहित महिला के साथ यौन संबंध रखता है
स्रोत- दी हिंदू

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