अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर वर्ष 12 मई को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (IND) मनाया जाता है, जो आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिंगेल को सम्मान देने के लिए समर्पित है। यह दिवस स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कल्याण और आर्थिक विकास में नर्सों की अहम भूमिका को पहचानता है।

क्यों है चर्चा में?

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2025 को 12 मई को मनाया गया, जिसका विषय था: हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल से मजबूत होती है अर्थव्यवस्था”। यह विषय इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (ICN) की उस अपील को दर्शाता है, जिसमें वैश्विक नर्सिंग क्षेत्र में तत्काल निवेश, अधिकारों की रक्षा, और सहयोगी प्रणालियों की आवश्यकता जताई गई है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • नर्सों के शारीरिक, मानसिक और व्यावसायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।

  • उचित वेतन, सुरक्षित कार्य वातावरण और अधिक वित्तीय सहायता की मांग को आगे बढ़ाना।

  • नर्सों के कल्याण और राष्ट्र की आर्थिक मजबूती के बीच संबंध को उजागर करना।

  • विश्व भर में नर्सों की मेहनत, सेवा और समर्पण को सम्मानित करना।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • फ्लोरेंस नाइटिंगेल (1820–1910), जिनका जन्म 12 मई को हुआ था, ने क्राइमियन युद्ध के दौरान आधुनिक नर्सिंग की नींव रखी।

  • अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की संकल्पना 1953 में डोरोथी सदरलैंड ने की थी।

  • 1965 में ICN द्वारा इसे औपचारिक रूप से शुरू किया गया और 1974 में 12 मई को निश्चित तिथि के रूप में मान्यता दी गई।

  • दीप प्रज्वलन समारोह (Lamp Lighting Ceremony) नाइटिंगेल की विरासत का प्रतीक है और कई देशों में यह विशेष रूप से मनाया जाता है।

वार्षिक विषय (पिछले वर्षों के)

  • 2024हमारी नर्सें। हमारा भविष्य: देखभाल की आर्थिक शक्ति

  • 2023हमारी नर्सें। हमारा भविष्य

  • 2022नेतृत्व की आवाज़: नर्सों में निवेश करें और अधिकारों का सम्मान करें

IND 2025 का महत्व

  • नर्सों की कमी, थकान और निवेश की कमी जैसी वैश्विक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

  • सरकारों को प्रेरित करता है कि वे नर्सों के कल्याण को प्राथमिकता दें।

  • नर्सों, नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य संगठनों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

  • शिक्षा, स्टाफिंग और नेतृत्व में संरचनात्मक सुधार की मांग करता है।

नर्सों को वैश्विक स्तर पर जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है

  • थकान और कार्यस्थल तनाव

  • अपर्याप्त वेतन और लंबी ड्यूटी शिफ्ट

  • स्टाफ की कमी और प्रशिक्षण के अवसरों का अभाव

  • महामारी और आपदा के दौरान स्वास्थ्य जोखिम का सामना

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vikash

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