हर वर्ष 8 सितंबर को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाती है। यह दिन साक्षरता की परिवर्तनकारी शक्ति और शिक्षा को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में सुनिश्चित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। वर्ष 2025 में यह दिवस “Promoting Literacy in the Digital Era” (डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना) थीम के तहत मनाया जा रहा है। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में इसका सह-थीम है — “Promoting Multilingual Education: Literacy for Mutual Understanding and Peace” (बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: परस्पर समझ और शांति हेतु साक्षरता)।
दोनों थीम इस बात को दर्शाते हैं कि 21वीं सदी में साक्षरता का स्वरूप बदल रहा है — जिसमें डिजिटल खाई को पाटना और समावेशी, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक शिक्षा पर बल देना शामिल है।
इसकी जड़ें 1965 में तेहरान (Tehran) में आयोजित “विश्व शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन” से जुड़ी हैं, जिसने निरक्षरता उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों को गति दी।
अक्टूबर 1966 में यूनेस्को (UNESCO) की 14वीं सामान्य सभा में इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया गया।
पहली बार यह दिवस 1967 में मनाया गया।
8 सितंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह कई देशों में शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और शिक्षा व विकास पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करता है।
पारंपरिक साक्षरता के साथ डिजिटल कौशल का एकीकरण आवश्यक है।
मुख्य चुनौतियाँ:
हाशिए पर रहने वाले समुदायों में डिजिटल निरक्षरता
ग्रामीण व निम्न-आय क्षेत्रों में तकनीक की पहुँच की कमी
सुरक्षित और सार्थक डिजिटल सहभागिता
आज अवसर और रोजगार डिजिटल दुनिया से जुड़े हैं, ऐसे में डिजिटल डिवाइड को पाटना साक्षरता समानता के लिए आवश्यक है।
यह परस्पर समझ, संज्ञानात्मक विकास और सांस्कृतिक विविधता के सम्मान को बढ़ाती है।
लाभ:
स्कूल छोड़ने की दर में कमी
शैक्षिक समावेशन में सुधार
हाशिए पर रहने वाले और आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना
यह SDG 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) से सीधा जुड़ा है और दर्शाता है कि साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं बल्कि अपनी भाषा और संस्कृति में सशक्तिकरण का माध्यम है।
वैश्विक प्रगति के बावजूद करोड़ों लोग अभी भी मूलभूत साक्षरता से वंचित हैं।
750 मिलियन वयस्क अभी भी निरक्षर हैं।
इनमें से दो-तिहाई महिलाएँ हैं।
निरक्षरता की खाई गरीबी, संघर्ष और डिजिटल बहिष्कार से गहराई से जुड़ी है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य है:
शिक्षा में प्रगति का उत्सव
बनी हुई असमानताओं को उजागर करना
सरकारों, एनजीओ और नागरिक समाज का समर्थन जुटाना
भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में है। उनकी शिक्षा-दृष्टि यह बताती है कि शिक्षक और साक्षरता राष्ट्र-निर्माण की नींव हैं। यह दिवस और अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस, दोनों शिक्षा और ज्ञान की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करते हैं।
तारीख़: 8 सितंबर
घोषणा: यूनेस्को, 1966
पहली बार मनाया गया: 1967
SDG लिंक: SDG 4 – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
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