अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस हर वर्ष 15 सितम्बर को मनाया जाता है, ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और शासन में नागरिकों की भागीदारी के महत्व को दोहराया जा सके। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2007 में स्थापित किया था और पहली बार यह दिवस 15 सितम्बर 2008 को मनाया गया। इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों—विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों—की आवाज़ सुनी जाए।
“Achieving Gender Equality, Action by Action” (लैंगिक समानता हासिल करना, कदम-दर-कदम कार्रवाई के साथ)
यह विषय इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (IPU) द्वारा निर्धारित किया गया है। इसमें ज़ोर दिया गया है—
संसदों और राजनीतिक प्रणालियों में लैंगिक समानता
समावेशी एवं लैंगिक-संवेदनशील संस्थान
लोकतांत्रिक स्थानों में लैंगिक हिंसा और भेदभाव का अंत
यह विषय मान्यता देता है कि सच्चा लोकतंत्र बिना लैंगिक समानता के संभव नहीं है और इसके लिए ठोस तथा मापने योग्य कार्यों की आवश्यकता है।
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के पास होती है, प्रत्यक्ष रूप से या चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से। इसके प्रमुख सिद्धांत हैं—
राजनीतिक समानता
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
कानून का शासन
मौलिक अधिकारों का सम्मान
सरकार की जवाबदेही
लोकतंत्र में बहुमत का शासन होता है, परंतु अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा भी की जाती है, जिससे समाज में संतुलन और शांति बनी रहती है।
2007 में UNGA ने इसे स्थापित किया।
2008 में पहली बार 15 सितम्बर को मनाया गया।
यह तिथि 1997 में अपनाए गए “Universal Declaration on Democracy” से प्रेरित है।
इस घोषणा में लोकतंत्र के मूल सिद्धांत बताए गए थे, जैसे सार्वजनिक जीवन में भागीदारी का अधिकार, मानवाधिकारों का सम्मान, पारदर्शी शासन और स्वतंत्र न्यायपालिका व प्रेस।
लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा – पारदर्शी, जवाबदेह और समावेशी शासन पर ध्यान।
नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहन – मतदान से लेकर नीतियों को आकार देने तक जनता की भूमिका पर बल।
मानवाधिकारों की रक्षा – अभिव्यक्ति, प्रेस और संगठन की स्वतंत्रता का महत्व।
लोकतंत्र में गिरावट से बचाव – अधिनायकवाद, भ्रष्टाचार और मीडिया दमन के खिलाफ चेतावनी।
लैंगिक समानता पर ज़ोर – राजनीति और निर्णय-निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा।
वैश्विक जागरूकता अभियान (UN, सरकारें और सिविल सोसाइटी द्वारा)
शैक्षिक कार्यक्रम – व्याख्यान, वाद-विवाद, चर्चाएँ
सार्वजनिक संवाद व टाउन हॉल बैठकें
मीडिया कवरेज – विशेष रिपोर्ट, टॉक शो, डॉक्यूमेंट्री
मतदाता पंजीकरण अभियान – विशेषकर युवाओं के लिए
कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण – नागरिक नेतृत्व व राजनीतिक साक्षरता पर
सांस्कृतिक कार्यक्रम – कला, नाटक, फ़िल्मों के माध्यम से स्वतंत्रता व न्याय का उत्सव
वकालत अभियान – लोकतंत्र-विरोधी प्रवृत्तियों और भेदभाव के खिलाफ कदम
1997 में IPU द्वारा अपनाई गई घोषणा इस बात पर बल देती है कि—
सार्वजनिक जीवन में भागीदारी हर व्यक्ति का अधिकार है।
लोकतंत्र समावेशी, लैंगिक-समान और अधिकार-आधारित होना चाहिए।
संस्थान कानून के शासन और नियंत्रण-संतुलन की प्रणाली के तहत संचालित होने चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस इन आदर्शों को याद दिलाता है और वैश्विक शासन प्रणालियों में उन्हें केंद्रीय स्थान दिलाने का प्रयास करता है।
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