अफ्रीकी वंश की महिलाओं और बालिकाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस

हर साल 25 जुलाई को अफ्रीकी वंश की महिलाओं और बालिकाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य अफ्रीकी विरासत वाली महिलाओं और लड़कियों की उपलब्धियों, सशक्तिकरण और आवाज़ों को सम्मानित करना है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त दिवस प्रणालीगत भेदभाव के बावजूद उनकी दृढ़ता का वैश्विक स्मरण कराता है। साथ ही यह उनके नेतृत्व, गरिमा और दुनिया भर की समाजों में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को भी रेखांकित करता है।

बहुस्तरीय भेदभाव और संघर्षशीलता
अफ्रीकी वंश की महिलाएं और बालिकाएं नस्लीय, लैंगिक और आर्थिक भेदभाव की कई परतों से गुजरती हैं। इन आपस में जुड़े हुए भेदभावों के कारण उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोज़गार के अवसर और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे क्षेत्रों में सीमित पहुंच प्राप्त होती है। इसके बावजूद वे डटकर खड़ी रहती हैं और नेतृत्वकर्ता, शिक्षाविद्, कार्यकर्ता और उद्यमी के रूप में उभरती हैं। वे रूढ़ियों को चुनौती देती हैं और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इस दिवस का महत्त्व: संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और सतत विकास लक्ष्य (SDGs)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव A/RES/78/323 के माध्यम से आधिकारिक रूप से 2 जुलाई को इस दिवस के रूप में मान्यता दी है। यह दिवस निम्नलिखित सतत विकास लक्ष्यों से जुड़ा है:

  • SDG 1: गरीबी उन्मूलन

  • SDG 3: अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण

  • SDG 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

  • SDG 5: लैंगिक समानता

  • SDG 10: असमानताओं में कमी

  • SDG 16: शांति, न्याय और सशक्त संस्थान

यह दिवस नस्लवाद, विदेशियों के प्रति घृणा (xenophobia) और लैंगिक अन्याय को समाप्त करने के लिए वैश्विक जवाबदेही की मांग करता है।

सशक्त नेतृत्व: कार्यवाही का आह्वान
संस्थागत अवरोधों के बावजूद, अफ्रीकी वंश की महिलाएं और बालिकाएं निम्नलिखित माध्यमों से परिवर्तनकारी नेतृत्व कर रही हैं:

  • जमीनी स्तर का सामाजिक आंदोलन

  • शिक्षा में उत्कृष्टता

  • राजनीतिक नेतृत्व

  • सांस्कृतिक प्रभाव

वैश्विक समुदाय से अपेक्षित प्रयास:

  • अफ्रीकी वंश की बालिकाओं के लिए शिक्षा, कौशल और मेंटरशिप में निवेश करें।

  • सभी क्षेत्रों में नस्लीय और लैंगिक रूढ़ियों का विरोध करें।

  • निर्णय लेने वाली संस्थाओं में समावेशी नेतृत्व और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें।

  • नस्ल और लिंग के आधार पर पृथक डेटा संग्रह करें, ताकि बेहतर नीतियाँ बन सकें।

  • मानवाधिकार रक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की रक्षा करें और उनके खिलाफ दमन को रोकें।

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vikash

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