हर वर्ष 6 नवंबर को विश्वभर में “युद्ध और सशस्त्र संघर्षों में पर्यावरण के शोषण की रोकथाम हेतु अंतरराष्ट्रीय दिवस” (International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict) मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित दिवस है, जो यह याद दिलाता है कि युद्ध न केवल मानव जीवन को बल्कि पर्यावरण को भी गहराई से प्रभावित करता है।
संघर्षों के दौरान पर्यावरण अक्सर “मौन पीड़ित” बन जाता है — नष्ट, प्रदूषित और कई बार अपूरणीय क्षति झेलता हुआ। यह दिवस संदेश देता है कि शांति और स्थिरता तभी संभव है जब पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जाए, चाहे परिस्थितियाँ युद्ध की ही क्यों न हों।
5 नवंबर 2001 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव A/RES/56/4 पारित कर 6 नवंबर को आधिकारिक रूप से इस दिवस के रूप में घोषित किया।
यह पहल इसलिए शुरू की गई क्योंकि युद्धों के दौरान होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता था।
बाद में, 27 मई 2016 को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने प्रस्ताव UNEP/EA.2/Res.15 को अपनाया, जिसने इस प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।
इसने यह मान्यता दी कि स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और सतत संसाधन प्रबंधन संघर्षों की रोकथाम और युद्धोत्तर पुनर्निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इसने साथ ही संयुक्त राष्ट्र के 2030 सतत विकास एजेंडा (Agenda 2030) के प्रति प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
युद्ध केवल मानव और आर्थिक क्षति नहीं पहुँचाता, बल्कि —
पारिस्थितिकी तंत्र और वन्यजीव आवासों का विनाश करता है।
विस्फोटक पदार्थों और रासायनिक हथियारों से हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित करता है।
विस्थापन और सैन्य अभियानों के कारण वनों की कटाई और भूमि का क्षरण बढ़ाता है।
जलस्रोतों को दूषित कर देता है, जिससे युद्ध समाप्त होने के बाद भी नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित रहता है।
प्राकृतिक संसाधन — जैसे जल, खनिज, वन — अक्सर संघर्षों की जड़ में होते हैं।
यदि इनका न्यायसंगत और सतत प्रबंधन किया जाए, तो यह —
संसाधनों पर होने वाले विवादों को रोक सकता है,
संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित कर सकता है,
और युद्धोत्तर पुनर्निर्माण और स्थिरता को समर्थन दे सकता है।
यह दिवस निम्नलिखित सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से गहराई से जुड़ा है —
SDG 16: शांति, न्याय और सशक्त संस्थान
SDG 13: जलवायु कार्रवाई
SDG 15: स्थलीय जीवन (Life on Land)
SDG 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता
युद्ध के समय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना सिर्फ संरक्षण का मुद्दा नहीं है —
यह मानव अस्तित्व, अधिकार और गरिमा का भी प्रश्न है।
यह दिवस विश्व समुदाय से आह्वान करता है कि —
सरकारें, गैर-सरकारी संगठन (NGOs), शैक्षणिक संस्थान और नागरिक —
सर्वोत्तम प्रथाओं (best practices) को साझा करें,
पर्यावरणीय क्षति का दस्तावेजीकरण और मूल्यांकन करें,
अंतरराष्ट्रीय कानूनों और जवाबदेही को सख्ती से लागू करें,
और पर्यावरणीय शांति निर्माण (environmental peacebuilding) में निवेश करें।
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