केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस की 164वीं जयंती के अवसर पर 3 दिसंबर 2022 को इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर, नई दिल्ली में “जे सी बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक के योगदान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन” का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य आचार्य जगदीश चंद्र बोस के योगदान को स्वीकार करना और लोकप्रिय बनाना था।
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जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर 1858 को मैमनसिंह (बांग्लादेश) में हुआ था और उनकी मृत्यु 23 नवंबर 1937 को झारखंड के गिरिडीह में हुई थी। वह एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था, जो पौधों की वृद्धि को मापने के लिए एक उपकरण है। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।
उन्होंने बेतार संचार की खोज की और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा उन्हें रेडियो विज्ञान का जनक नामित किया गया। उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक गड्ढे का नाम रखा गया है। उन्होंने 1917 में कोलकाता में बोस इंस्टीट्यूट की स्थापना की जो एशिया का पहला अंतःविषय अनुसंधान केंद्र है।
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